विधेयक में प्रावधान किया गया है कि बच्चों ,किशोरो के खिलाफ गंभीर यौन अपराध के साबित होने पर दोषी को कम से 20 वर्ष की कठिन कारावास की सजा सुनाई जाएगी। इसमें ऐसे अपराध के लिए उम्रकैद , जुर्माने के अलावा मृत्युदंड का भी प्रावधान रखा गया है। विधेयक में ऐसे अपराध में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया है। राज्यसभा में बिल पर बोलते हुए केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मौत की सजा के प्रावधान पर स्पष्ट किया कि यह न्यायाधीशों के विवेक पर होगा कि वह किन मामलों में मौत की सजा का प्रावधान करते हैं मौत की सजा का प्रावधान रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस के लिए किए जाने का प्रावधान है।
बिल में अश्लील प्रयोजनों के लिए बाल पोर्नोग्राफी पर भी काबू पाने का प्रावधान किया गया है। इसके दोषियों पर बढ़ा हुआ जुर्माना लगाने के साथ साथ जेल भेजने का प्रावधान भी शामिल किया गया है। पॉक्सो कानून में संशोधन कर चाइल्ड पोर्नोग्राफी की परिभाषा का विस्तार किया है। इसमें तस्वीरों, डिजिटल और कंप्यूटर से तैयार पोर्नोग्राफिक सामग्री को भी शामिल किया है। बिल के पास होने जाने पर ये चीजें पॉक्सो कानून के तहत दंडनीय होंगे। अब नया कानून बन जाने पर अगर कोई व्यक्ति अश्लील वीडियो या तस्वीर में बच्चों की नकल करते कोई अश्लील कृत्य कर रहा होगा तो ये दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगा।
इस बिल के जरिये मूल कानून में संशोधन किया जायेगा। बिल के उद्देश्य में कहा गया है कि देश में बाल यौन अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने की नितांत आवश्यकता है। संशोधन में लड़का-लड़की के भेद को खत्म कर दिया गया है. यौन अपराध के मामले में ज्यादा फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का फैसला किया गया है. साथ ही बालिग बनाने की दवा देने पर सात साल सजा पहली बार बच्चों को हार्मोन के इंजेक्शन और अन्य केमिकल के जरिए शारीरिक बदलाव को परिभाषित कर जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है। ऐसे मामले में भी कड़ी सजा का प्रावधान है। बच्चों को बालिग बनाने के लिए दवा या हार्मोन आदि का इंजेक्शन देने का दोषी मिलने पर कम से कम 5 साल और अधिकतम 7 साल की सजा होगी। साथ ही जुर्माना भी देना होगा। यही सजा किसी ऐसे अपराध को करने के लिए किसी को प्रेरित करने, किसी को इसका लालच देने या किसी को ऐसा करने के लिए मजबूर करने पर भी लागू होगी।
बालकों में लैंगिक अपराधों बालकों में लैंगिक अपराधों को रोकने के लिए जागरूकता के साथ साथ प्रतीक शैक्षणिक संस्थान में नोटिस बोर्ड के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विद्यार्थियों को न सिर्फ लैंगिक अपराधों के प्रति जागरूक किया जाए बल्कि उन्हें शिकायत करने के लिए उचित अधिकारी का उल्लेख और हेल्पलाइन नंबर भी नोटिस बोर्ड पर स्कूलों द्वारा प्रदर्शित करना होगा, साथ ही पुनर्वास संबंधी कार्यक्रमों को सरकार राज्यों के जरिए देश में मौजूद करीब दो हजार बालक पुनर्वास केंद्रों से उन्हें मदद मुहैया कराएगा। पॉक्सो एक्ट देश में पहली बार सन 2012 में लाया गया था और वर्तमान में किए जा रहे संशोधनों के बाद इस कानून को और प्रभावी रूप से देश भर में लागू करने में मदद मिलेगी।