विभाजन के इस प्रकिया में पंजाब, सिंध, बलुचिस्तान से लेकर बंगाल तक होने वाली एकतरफा हिंसा ने १० लाख से अधिक हिन्दुओं की जान ले ली और डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग बेघर हो गए. वैसे तो कई लेखकों ने और इतिहासकारों ने इस त्रासदी को कलमबध्द किया हैं, लेकिन ‘वे पंद्रह दिन’ पुस्तक में लेखक प्रशांत पोल ने जिस वस्तुनिष्ठता और व्यापकता के साथ उन १५ दिनों की घटनाओं व लोगों के मानस पर पड़ने वाले उनके असर को समेटा हैं, उसे भारतीय इतिहास के उथल-पुथल भरे दिनों की सबसे अच्छी तस्वीर कही जा सकती हैं.
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