संसद के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन सदन में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बहस जारी है.
पिछले चार सालों में विपक्ष की ओर से नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले एनडीए सरकार के खिलाफ पेश किए गए पहले अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को जब लोकसभा में चर्चा शुरू हुई तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोपों के तीखे तीर चले. चर्चा से पहले ही बीजेडी के सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव का बहिष्कार करते हुए सदन से वॉकआउट किया तो शिवसेना ने भी एलान किया कि वो बहस में हिस्सा नहीं लेगी.
चर्चा की शुरुआत तेलुगुदेशम पार्टी के जयदेव गल्ला ने की. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के विभाजन और तेलंगाना राज्य के गठन से सबसे ज्यादा नुकसान आंध्र प्रदेश को हुआ, लेकिन संसद के भीतर और बाहर जो वादे किए गए थे वो पूरे नहीं हुए.
इसके बाद तमाम राजनीतिक दलों की ओर से बहस में हिस्सा लिया गया. बीजेपी और एनडीए दलों की ओर से जहां सदस्यों ने सरकार की उपलब्धियों का बखान किया और कांग्रेस पर हमला बोला तो विपक्ष की ओर से मोदी सरकार को निशाने पर रखा गया.
बहस में हिस्सा लेते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष को करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कभी 2 सांसद वाली भाजपा आज देश के अधिकांश राज्यों में सत्ता पर काबिज़ है. उन्होंने कहा कि विपक्ष बेहद कमजोर है और बीजेपी के खिलाफ सबको साथ आना पड़ा.
राजनाथ सिंह ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया और कहा कि चार साल के दौरान देश में कोई दंगा या आतंकवादी हमला नहीं हुआ. उन्होंने टीडीपी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश को हर संभव मदद दी है.
देश के कुछ हिस्सों में भीड़ की ओर से की गई हत्याओं के बारे में गृहमंत्री ने कहा कि इस पर क़ानून की ज़रूरत हो तो वो भी सरकार बनाएगी. उन्होंने कहा कि देश में मॉब लिंचिंग की सबसे बड़ी घटना 1984 में हुई. विरोधियों पर करारा वार करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर में हिंसा की घटनाओं पर चुप रहने वाले आज हिंदू तालिबान और हिंदू पाकिस्तान की बात बोलते हैं.
तमाम और विपक्षी सदस्यों ने जहां सरकार पर किसानों, रोजगार, महिला सुरक्षा जैसे चुनावी वादे पूरा नहीं करने का आरोप लगाया, वहीं बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस ने 48 सालों के शासन में स्कैम्स की राजनीति की, जबकि नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले 48 महीने में स्कीम्स की राजनीति की है.