प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के तीव्र परिवर्तन के बारे में विचार प्रकट करते हुए कहा कि इसके लिए देश को कानूनों में बदलाव, अनावश्यक औपचारिकताओं को समाप्त करने और प्रक्रियाओं को तीव्र करने की आवश्यकता है क्योंकि केवल रत्ती-रत्ती प्रगति से काम नहीं चलेगा।
प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की ओर से आयोजित ‘भारत परिवर्तन’ विषय पर पहला व्याख्यान देते हुए कहा कि यदि भारत को परिवर्तन की चुनौतियों से निपटना है तो केवल रत्ती-रत्ती आगे बढने से काम नहीं चलेगा, आवश्यकता कायाकल्प की है। राज-काज में बदलाव के ज़रिए परिवर्तन लाने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह काम 19वीं सदी की प्रशासनिक प्रणाली के साथ नहीं हो सकता।
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राज-काज बदलाव, मानसिकता में बदलाव के बिना नहीं हो सकता और मानसिकता में बदलाव तब तक नहीं होगा जब तक की विचार परिवर्तनकारी न हों।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 30 वर्ष पूर्व एक देश को अपने भीतर झांकने और इनके समाधान तलाशने पड़ते थे लेकिन आज देश एक-दूसरे पर निर्भर हैं और एक-दूसरे से जुड़े हैं और कोई भी देश अलग-थलग रहकर विकास की दिशा में लंबी दूरी तय नहीं कर सकता।
कार्यक्रम में सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री ने भी संबोधित करते हुए भारत-सिंगापुर के मजबूत रिश्तों को बयान किया। उप-प्रधानमंत्री थरमन षनमुगरत्नम ने भारत के आर्थिक और सामाजिक रूपांतरण के मंत्र दिए। उन्होंने कहा भारत को टैक्नोलॉजी के बेहतर प्रयोग के साथ अपने को दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ और अधिक मज़बूती से जुड़ना होगा।