राफेल के मामले पर बीते लंबे समय से राजनीति होती रही है, लेकिन इस मुद्दे पर संसद में सरकार के जबाव के बाद सभी आरोप खोखले नज़र आए. रक्षा मंत्री ने विपक्ष के एक-एक आरोप का सिलसिलेवार जबाव दिया, तो कांग्रेस पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया.
रफाल सौदे पर लोकसभा में बुधवार को जो चर्चा शुरू हुई थी वो शुक्रवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के साथ समाप्त हुई. दो घंटे से भी ज्यादा के अपने जवाब के दौरान रक्षा मंत्री ने विपक्ष के हर एक सवाल का खुलकर जवाब दिया और सारे आरोपों की हवा निकाल दी. निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस रफाल मुद्दे पर पूरा अभियान झूठ के आधार पर चला रही है और वह संसद के अंदर और बाहर देश को गुमराह कर रही है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि यूपीए के वक्त में 10 साल तक करार की प्रक्रिया तक पूरी नहीं हो पाई क्योंकि कांग्रेस की मंशा विमान की खरीदने की नहीं थी. रक्षा मंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे ऊपर है और इसीलिए पहले रफाल विमान की आपूर्ति 2019 में हो जाएगी, 36 विमानों के बेड़े का आखिरी विमान 2022 में आ जाएगा.
ऑफसेट करार पर उन्होंने कहा कि ये नीति 2013 में यूपीए के दौरान ही बना ली गई थी और एनडीए सरकार ने इसे नहीं बदला है. उन्होंने कहा कि ऑफसेट पार्टनर तय करने का अधिकार निर्माता कंपनी को है, इसमें दोनों देशों की सरकारों का कोई दखल नहीं है. कितने पार्टनर होंगे यह भी उसी कंपनी को तय करना होता है.
रफाल सौदे की प्रक्रिया पर विपक्ष के आरोपों पर रक्षा मंत्री ने कहा कि 74 बैठकों के बाद सौदा किया गया था. सौदे के दाम पर रक्षा मंत्री ने कहा कि कांग्रेस हमेशा सौदे के दाम बदलती रही. निर्मला सीतारमण ने कहा कि एनडीए ने यूपीए से कई गुना सस्ती और बेहतर सौदा किया है. उन्होंने कहा कि हथियारों से लैस और बगैर हथियार वाले रफाल विमान की तुलना गलत है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि यूपीए के 18 विमानों की संख्या बढ़ाकर हमने 36 की है, जबकि कांग्रेस देश को गुमराह कर रही है कि एनडीए ने विमानों की संख्या घटा दी है.
एचएएल को विमान सौदा न देने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कांग्रेस एचएल के नाम पर घ़डियाली आंसू बहा रही है, जबकि यूपीके के दस साल के शासन में HAL के साथ कोई करार साइन नहीं किया गया था. साथ ही उन्होंने सवाल पूछा कि कांग्रेस ने अपनी सरकार में अगुस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर का सौदा एचएएल को क्यों नहीं दिया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कीमत, प्रक्रिया और आफसेट तीन विषयों पर विचार करने के बाद कहा कि इन आधारों पर इस अदालत के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है लेकिन विपक्ष मानने को तैयार नहीं है.
इससे पहले शुक्रवार को दोबारा चर्चा शुरू होने पर तमाम सदस्यों ने अपनी बात रखी. कांग्रेस ने जहां जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन करने की मांग की तो वहीं सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि रफाल पर वो लोग सवाल कर रहे हैं जिनकी पार्टी और परिवार का इतिहास घोटालों से पटा हुआ है.
रक्षा मंत्री ने विस्तार से रफाल सौदे के बारे में बताया और देश को जानकारी दी कि रफाल देश के लिए क्यों जरुरी है. उन्होंने कहा कि सौदे की कीमतों का खुलासा करना शर्तों का उल्लंघन होगा और ये राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता भी होगा. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रक्षा मंत्री के भाषण की तारीफ करते हुए कहहा कि उन्होंने कांग्रेस के झूठ अभियान का पर्दाफाश कर दिया है.