उरी हमले के बाद भारत सरकार पाकिस्तान पर चौतरफा हमले कर रही है। एक ओर कूटनीतिक हमलों के जरिए पाकिस्तान को पस्त किया जा रहा है तो दूसरी ओर तमाम संधियों और समझौतों की समीक्षा का संकेत देकर सरकार उसे सामरिक आर्थिक तौर पर घेरने की भी तैयारी कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को सिंधु जल समझौते को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की तो अब गुरुवार को व्यापार में सहूलियत के लिए पाकिस्तान को दिए गए सबसे ज़्यादा तरजीह वाले मुल्क’ यानी मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन के दर्जे पर समीक्षा करने के लिए बैठक बुलायी है । बैठक में पीएमओ, वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारी मौजूद रहेंगे.।इससे पहले पिछले हफ्ते सरकार ने संकेत दिया था कि पाकिस्तान को मिलने वाले मोस्ट फेवर्ड नेशन यानी एमएफएन का दर्जा खत्म किया जा सकता है ।केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री मेघवाल ने कहा था कि सरकार के पास पहले से ही इस बारे में प्रस्ताव लंबित हैं । सरकार का कहना है कि वो व्यापार संबंधों से अधिक तवज्जो देश की सुरक्षा को देती है।
विश्व व्यापार संगठन के शुल्क एवं व्यापार सामान्य समझौते के तहत किसी देश को एमएफएन स्टेट्स दिया जाता है. । भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देश हैं। एमएफएन स्टेट्स दिए जाने पर दूसरा देश इस बात को लेकर आश्वस्त रहता है कि उसे व्यापार में नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.। भारत ने 1996 में अपनी तरफ से पाकिस्तान को एमएफएन का दर्जा दे दिया था । इसकी वजह से पाकिस्तान को अधिक आयात कोटा और कम ट्रेड टैरिफ मिलता है. हालांकि, बदले में पाकिस्तान ने आश्वासन देने के बावजूद भारत को अब तक एमएफएन दर्जा नहीं दिया है। जानकारों की माने तो अगर भारत ये दर्जा रद्द कर देता है तो पाक को अपना सामान निर्यात करने में मुश्किल होगी।
उद्योग मंडल एसोचैम के अनुसार साल 2015-16 में भारत के 641 अरब डालर के कुल वस्तु व्यापार में पाकिस्तान के साथ व्यापार का हिस्सा मात्र 2.67 अरब डालर का है जो देश के कुल व्यापार का 0.4 फीसदी है । भारत से इस पड़ोसी देश को 2.17 अरब डालर का निर्यात किया जाता है जो कि कुल निर्यात कारोबार का मात्र 0.83 प्रतिशत है जबकि पाकिस्तान से होने वाला आयात 50 करोड़ डालर यानी कुल आयात का 0.13 प्रतिशत ही होता है।
भले ही एमएफएन का दर्जा वापस लेने का बहुत बडा आर्थिक प्रभाव नहीं पडे़ लेकिन इसका बडा प्रतीकात्मक महत्व होगा । जम्मू कश्मीर में व्यापार से जुडे़ व्यापारी भी फैसले पर सरकार के साथ हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने सोमवार को 56 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि पर बैठक की थी। इसमें उन्होंने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकता है। समीक्षा बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि संधि के तहत भारत झेलम सहित पाकिस्तान नियंत्रित नदियों के अधिकतम पानी का इस्तेमाल करेगा। बैठक में इस बात पर भी गौर किया गया कि सिंधु जल आयोग की बैठक आतंक मुक्त वातावरण में ही हो सकती है। ये सारी बैठकें उरी सैन्य ठिकाने पर हुये आतंकवादी हमले के बाद उठाये जा रहे कदमों के संदर्भ में हो रही हैं। उरी हमले के बाद से ही भारत पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग करने में जुटा है। दुनिया के मंचो पर पाक को बेनकाब करने के बाद अब पाक पर आर्थिक और सामरिक दबाव बढाने की तैयारी कर ली है।
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