दिलीप : इस सवाल पर हम आगे विचार करेंगे लेकिन सबसे पहले मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं । आपको ये तो पता ही होगा कि साल 1965 की लड़ाई में भारत की सेना पाकिस्तान के अंदर लाहौर की सीमा में घुस चुकी थी लेकिन उसने विजय अभियान को वहीं क्यों रोक दिया था ? भारत की सेना लाहौर के शहरी इलाकों में घुस सकती थी लेकिन वो अंदर क्यों नहीं गई ?
-इसकी वजह बिलकुल साफ है… दरअसल पाकिस्तान का एक एक मुसलमान अपनी कौम के प्रति वफादार है… वो अपने मजहब इस्लाम और अपनी बहु बेटियों की इज्जत के लिए बम बांधकर भी उड़ सकता है… अगर भारत की सेना लाहौर शहर के अंदर घुस जाती तो इतना जबरदस्त प्रतिरोध झेलना पड़ता कि भारत की सेना को गोलियां चलानी पड़ती और इससे भारत की सेना पर वार क्राइम का कलंक लगता और उस नाजुक वक्त में पूरी दुनिया में भारत की बदनामी होती । यानी लाहौर में मुसलमानों की एकता बड़ी महत्वपूर्ण साबित हुई ।
– लेकिन आप ठीक इसका उल्टा सोचिए… हे ईश्वर ये दिन कभी ना आए… फिर भी कल्पना कीजिए कि अगर पाकिस्तान की सेना इसी तरह भारत के किसी सीमावर्ती शहर के अंदर घुस जाती तो क्या हम हिंदू पाकिस्तान की सेनाओं का प्रतिकार करने के लिए संगठित होते… अपने घरों से निकलते… बिलकुल नहीं निकलते… अव्वल तो ये कि लोगों के एक एक ही बेटे हैं कोई अपने बेटे को घर से बाहर निकालता ही नहीं । महिलाएं अपने पतियों से कहतीं अरे घर बैठो जी जब सेना नहीं कुछ कर पाई तो आप क्या कर पाओगे… ये सब बहुत कड़वी बातें हैं लेकिन अगर ये बातें सच नहीं होतीं तो आप सोचिए कि क्या 4-5 हजार अंग्रेज मिलकर पूरे भारत पर राज कर पाते ? ये कैसे संभव हो गया कि बाहर से आए मुट्ठी भर मुसलमानों ने यहां बड़ी बस्तियां बसा ली । ये सब इसलिए हुआ क्योंकि हिंदू संगठित होने को तैयार ही नहीं होता है । अगर कभी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति बन जाती औऱ पाकिस्तान की सेना भारत के किसी सीमावर्ती शहर में घुस जाती तो उल्टा हमारे ही बहुत सारे हिंदू भाई जाकर पाकिस्तान की सेनाओं को फूल माला पहना आते और कहते अतिथि देवो भव । ये है कायर हिंदुओं की सच्चाई ।
-सोचिए… हम हिंदू लोग कभी बजरंग दल में शामिल नहीं होते… कभी आरएसएस की शाखा को ज्वाइन नहीं करते हैं… कहीं किसी हिंदू संगठन को एक पैसे का चंदा भी नहीं देना चाहते हैं… मैंने भी पैसा मांगकर देखा है हिंदू समाज से 100 लोगों से पैसा मांगो तो एक या दो आदमी मुश्किल से पैसा देते हैं और जो पैसा देते हैं वो उसका पूरा हिसाब भी मांगते हैं चाहे एक ही रुपया क्यों ना दिया हो ? लेकिन यही लोग जो आज भागवत जी को गाली दे रहे हैं… अगर इनके घर का कोई सदस्य मुसलमानों से पिट जाए तो फिर यही लोग संघ को और जोर जोर से गाली देते हैं कि हाय… संघ और बजरंग दल कहां मर गए ? ये हम हिंदुओं की निगेटिव एप्रोच है
– मैंने पहले भी एक लेख में भागवत जी की उस बात का विरोध किया था जिसमें उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों का DNA एक होने की बात कही थी । मैंने लिखा था कि DNA तो भागवत जी और कसाब का भी एक ही हुआ । लेकिन ये बात भी सच है कि जितना बलिदान भागवत जी ने किया है समाज के लिए… उतना मैंने नहीं किया है तो हमें उनकी आलोचना करने का हक नहीं है । क्योंकि पहले हम उनका सपोर्ट तो करें । और सपोर्ट का मतलब मोबाइल पर सपोर्ट से नहीं है जमीन पर सपोर्ट से है । कम से कम शाखा में तो जाएं । हजारों लोगों के मुहल्ले के बीच में से 10 लोग शाखा में निकलकर सामने आते हैं । सवाल ये है कि संघ तो फिर भी हिंदू समाज के लिए बहुत कुछ कर रहा है । एक हजार साल से रुका हुआ राम मंदिर का काम तो संघ और मोदी के राज में ही पूरा हो रहा है ना । तो फिर हमको भी संघ औऱ मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जरूर करना चाहिए ।
-ये सब बातें कहने का मकसद किसी का दिल दुखाना नहीं है लेकिन सच्चाई तो यही है कि हिंदू एक निहायत ही नकारा… स्वार्थी और कायर समाज बन चुका है । यहां स्थिति ये है कि एक सोसायटी के अंदर रहने वाले हजारों लोग होंगे लेकिन 10 लोग भी ऐसे नहीं होंगे जो एक दूसरे को पहचानते हों । हम हिंदुओं की बहन बेटियां इंस्टाग्राम पर वेश्याओं से भी बुरे इशारे करके वीडियो बना रही हैं और क्या हम उनको रोक पा रहे हैं ? (आपकी और मेरी बात नहीं लेकिन ऐसे हिंदू मौजूद हैं) और ये जानते हुए भी कि इस तरह के प्लेटफॉर्म पर भारी संख्या में जहादी मौजूद हैं । सबसे ज्यादा लव जिहाद इंस्टाग्राम के माध्यम से हो रहा है लेकिन क्या हमारी नजर अपनी बेटियों के मोबाइल पर है । क्या आपको पता है कि आपकी बेटी के मोबाइल का पासवर्ड क्या है ? तो ऐसे में सवाल ये है कि हम सब लोग अपने घरों के अंदर तो परिवार में कोई नैतिक आचार विचार का पालन करवा ही नहीं पा रहे हैं और बातें करते हैं इतनी बड़ी बड़ी ।
-संघ… हिंदुओं की कायर मनोवृत्ति को बहुत अच्छी तरह से पहचानता है और जानता भी है… इसीलिए वो एक एक कदम फूंक फूंक कर रखता है । मैं ये बात दावे से कह सकता हूं कि अगर मोदी का वोटर मुसलमानों की तरह निष्ठावान और संगठित होता तो अब तक मोदी ने काशी और मथुरा ही नहीं वो सारे 40 हजार मंदिर मुक्त करवा लिए होते जो अब भी मुसलमानों के कब्जे में हैं । लेकिन आप इस सवाल का जवाब दीजिए कि बंगाल में इतने हिंदू मारे गए लेकिन क्या कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे भारत में कोई एक भी प्रदर्शन हुआ ? पालघर के साधुओं के हत्यारों को जमानत मिलती चली गई क्या हिंदू घर से बाहर निकला… सीएए के खिलाफ पूरा मुसलमान सड़क पर उतर आया लेकिन क्या हिंदुओं का जन सैलाब कहीं दिखाई पड़ा था ? सच्चाई ये है कि हमारी मानसिकता यही है कि जब हमें अपने स्वार्थों की पूर्ति के हर साधन की जानकारी है लेकिन समाज के लिए हम कुछ नहीं करना चाहते हैं ।
-अगर अभी कोई ये बताए कि भैया फलाने जगह पर राशन कार्ड से सस्ती चीनी मिल रही है तो सारे हिंदू फौरन वहां पर लाइन लगाकर पहुंच जाएंगे । लेकिन अगर अभी हिंदुओं से कोई ये कहे कि अरे भाई वहां पर लव जिहाद की घटना हो गई है चलो जरा थाने का घेराव करना है तो एक आदमी घऱ से बाहर नहीं निकलेगा । ये स्थिति है हमारी ।
– हम इतने कायर समाज हो चुके हैं कि हमारे समाज की बेटी को जिहादी उठा ले जाता है और फिर हमारे लोग उस थाने और पुलिस के चक्कर लगाते हैं जो माफ करना लेकिन सच है कि दो दो पैसे में बिक जाती है और किसी प्राणघातक काम से बचती है । कितने ब्राह्मणों की बेटियां लव जिहाद में उठा ली जाती हैं लेकिन है कोई ब्राह्मण संगठन जो थाने का घेराव करता हो… बड़ी बड़ी बातें करना तो बहुत आसान है… .किसी को गाली देना सबसे आसान है… लेकिन हिंदू समाज के चार लोगों को जोड़ना सबसे मुश्किल काम है… ये हालत है हमारी ।
– हिंदू समाज एक काम करने में सबसे ज्यादा कुशल है । यहां रिक्शेवाला भी पीएचडी होता है… ज्ञान चाहे जितना निकलवा लो इनसे लेकिन इसके अलावा और इनसे कुछ भी नहीं होने वाला । इसलिए हमारा यही विचार है कि भागवत जी की भी आलोचना कर लेना… ठीक है लेकिन पहले एक महान हिंदू… छत्रपति शिवाजी महाराजा और वीर सावरकर जैसा हिंदू बनने का कम से कम संकल्प तो कर लो ।
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