सत्स्वरूप पांचाल : प्रधानमन्त्री के दलित प्रेम से चिढ़ें मत। कोई भी कमेण्ट करने से पहले इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।
कुछ लोगों की शिकायत है कि प्रधानमन्त्री दलितों के ऊपर अत्यधिक मेहरबान हैं जो सच भी है। लेकिन जब आप सब गहराई पूर्वक सूक्ष्मतम रूप से इस पर विचार करेंगे तो प्रधानमन्त्री आपको ग़लत नहीं लगेंगे।
दलितों को लेकर चार अन्तरराष्ट्रीय तत्वों में होड़ सी मची है। एक ओर इसे विदेशी धन के बलबूते चर्च निगलना चाह रहा है तो दूसरी ओर इस्लाम भी जय मीम और जय भीम का नारा देकर निगलने को तैयार खड़ा है। तीसरी ओर अन्य पन्थ भी इस समाज पर अपना अलग अधिकार जताता है तो चौथी ओर कम्युनिस्ट पार्टियां इसे धर्म और आस्था से विहीन कर हिन्दुओंं से अलग करने पर आमदा हैं।
यह चारों के चारों अंतरराष्ट्रीय/अराष्ट्रीय तत्व हैं और इनमें से एक की ओर भी दलितों का झुकना न तो भारत के लिए हितैषी और न ही बहुसंख्यक हिन्दू समाज के लिए। क्योंकि दलित इन चारों में से किसी एक से भी जुड़ते हैं तो हमारा देश और धर्म दोनों कमजोर हो जाएगा।
इसलिए प्रधानमन्त्री जी का पूरा जोर यह है कि दलितों को इन चारों अराष्ट्रीय तत्वों के चंगुल में फंसने से कैसे रोकें? ताकि न तो देश की दीवार में कोई दरार आए और न ही हिन्दुत्व कमजोर हो।
इसलिए आप प्रधानमन्त्री के दूरदृष्टि को गम्भीरतापूर्वक समझने का प्रयास कीजिए। दलितों पर फोकस होने का मतलब इन चारों के जाल में फंसने से रोकना है।
जब स्थिति सामान्य होगी और देश नियन्त्रण में होगा तो देशद्रोह के लिए कोई सर नहीं उठा सकेगा । सनातनधर्म और राष्ट्र सुरक्षित होगा।
कृपया समझने की कोशिश कीजिये। हिन्दू मृत्युशय्या की निद्रा में है जो धर्म और देशहित के लिए जागना ही नहीं चाहता है ।।।
एक सवाल उन स्वर्णो से के जो इतनी छोटी सी भी बात को नहीं समझ रहे हैं जो नोटा नोटा चीला कर Sc St का विरोध कर रहे हैं।
तो क्या वें बताएंगें कि वो कोन सी कैटेगरी के स्वर्ण है राष्ट्रभक्त या राष्ट्रद्रोही?
जितना जल्दी समझ जाओ उतना ही अच्छा है क्योंकि बच के रहना भाइयों/बहनो, समुदाए विशेष के कुछ भूखे नंगे लोगों को चुनाव तक इटली वाली अम्मी ने fake id बनाके, ब्राह्मण-दलित जातिवाद, मोदी जी के लिए NOTA माहोल और हमारी धार्मिक भावनायें आहत करने का कॉंट्रैक्ट दिया है।
जयचंद जैसे गद्दार ,देशद्रोही मत बनो हिन्दुओ अपनी आने वाली नस्लो के सुरक्षित भविष्य के बारे में सोचो ?
बाकि चयन आपका।।