साथियों,
कहते हर व्यक्ति की अपनी एक अलग अलग विचारधारा और अलग अलग कार्यशैली होती है। विचारधारा में समानता ही संगठन अथवा राजनैतिक दल का स्वरुप धारण करते हैं। राजनैतिक क्षेत्र में हर पार्टी की अपनी एक विचारधारा एवं सोच होती है और वह उसी के अनुरूप अपनी राजनीति का विस्तार कर सत्ता के गलियारे तक पहुंचने का प्रयास करता है। राजनीति में कभी कभी ऐसे भी अवसर आ जाते हैं जब राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति अथवा मजबूत दल की सत्ता को उखाड़ फेंकने अथवा चुनावी मुकाबला करने के लिये मुसीबत के दिनों में भावावेश में अपनी मूल विचारधारा को अलग रखकर विभिन्न विचारधाराओं वाले राजनैतिक दलों का एक महागठबंधन बनाना पड़ता है।अबतक राजनीति में कई महागठबंधन अबतक समय समय बनकर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं और वर्तमान सरकार भी गठबंधन के सहारे चल रही है।यह गठबंधन बनते तो हैं लेकिन विचारों में भिन्नता के चलते सत्ता में आने पर सरकार की टांग खींचकर बराबर ब्लैकमेल करते और अपना राग अलापते रहते है।
आपातकाल के बना विपक्षी महागठबंधन उस समय देशकाल परिस्थितियों की माँग जैसी थी तभी तो कांग्रेस सरकार के खिलाफ सभी विपक्षी दल एक हो गये जिसमें अछूत मानी जाने वाली भाजपा पार्टी भी शामिल थी। यह सही हैं कि ” संघे शक्ति कलियुगे” मतलब कलयुग में संगठन शक्ति के रूप में होता है। जब सभी विचारधारा के दल एक होकर महागठबंधन बनाकर एक कार्यक्रम तैयार कर लेते तो उनके साथ उनकी विचारधारा के समर्थक भी उसमें शामिल हो जाते है। आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुये विपक्षी सरकार को अपने से ज्यादा महाशक्तिशाली मानकर उसका मुकाबला करने की गरज से सत्ता तक पहुंचने के लिये महागठबंधन बनाने का कार्य इधर पिछले कुछ महीनों से चल रहा है।
सभी विपक्षी दल हर हाल हर दशा में भाजपा की अगुवाई वाली जनतांत्रिक सरकार को आगामी चुनाव में सत्ता में आने से रोकना चाहते हैं जो एक लोकतांत्रिक तरीका है।सरकार को रसातल में पहुंचाने के उद्देश्य से बन रहा यह महाबंधन समय समय पर अपनी एकता अखंडता का प्रदर्शन भी विभिन्न अवसरों पर कर चुका है। विपक्षी महागठबंधन के भविष्य को लेकर गर्मा बहसें तब शुरू हो गयी जबकि महागठबंधन की प्रमुख घटक बसपा सुप्रीमो बहन जी ने महागठबंधन में शामिल उन लोगों से बुआ बबुआ के रिश्ते तोड़ते हुये साफ साफ कह दिया कि चुनाव में सम्मान जनक सीटें नही मिलेगा तो वह महागठबंधन में नहीं शामिल होगी और खुद अपने बहुजन समाज के बल पर लड़ूंगी। यह सही है कि बहन जी की पार्टी अपना एक जनाधार जो पिछले चुनावों में उन्हें मिले मतों को देखकर लगाया जा सकता है। पिछले चुनावी आँधी में भी बहनजी के साथ जुड़े रहे मतदाता उनके अटूट आस्था के प्रतीक हैं और सीट भले ही न मिली हो लेकिन संगठन तो उनके साथ है ही जिसे नकारा नहीं जा सकता है।
बसपा को महागठबंधन में सीट कम मिलने की आशंका है क्योंकि पिछले चुनाव उनकी पार्टी की सीटों का प्रदर्शन ठीक न होने का आधार बनाकर सीटों का आवाटंन हो सकता है इसीलिये उन्होंने समाजवादी पार्टी से पहले से दोस्ती बना रखी है।बसपा के चुनावी गठबंधन का इतिहास अच्छा नहीं रहा है और सभी जानते हैं कि बहन जी किया गया तालमेल ज्यादा समय तक स्थाई नहीं रह पाता है।यहीँ कारण है कि उन्हें किसी पर भरोसा नहीं होता है जबकि उनकी पार्टी का विस्तार एवं मजबूती गठबंधन के सहारे ही हुआ है।इस समय बसपा के लिये वर्तमान परिस्थतियां वजूद बचाने जैसा है क्योंकि एससी एसटी एक्ट के सहारे उनके वोटबैंक पर डाका डालकर लूटने का प्रयास हो रहा है।बसपा प्रमुख की कल दी गई धमकी भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक पुरानी कार्यशैली का एक नमूना माना जा रहा है।उनके इस फैसले से विपक्षी महागठबंधन में एकबार खलबली मच गयी है।धन्यवाद।। भूलचूक गलती माफ।। सुप्रभात / वंदेमातरम् / गुडमार्निंग / नमस्कार / अदाब / शुभकामनाएं।। ऊँ भूर्भुवः स्वः—–/ऊँ नमः शिवाय।।।