मित्रों एक 10 साल के बच्चे की दिल की आवाज़ अगर हम सुने तो वाकई ही हम उस बच्चे से सहमत हो जाते हैं कि अगर हमारे देश के हर अध्यापक अपने विद्यार्थियों को उसी प्रकार पढ़ाएं जैसे वह अपने बच्चों को पढ़ाते हैं तो भारत को कोई भी ताकत विश्व गुरु बनने से नहीं रोक सकती हैं।
आज सभी अध्यापकों को मंथन करने की जरूरत है कि हम और हमारे बीच के कुछ अध्यापक कुछ ऐसा तो नहीं कर रहे जिससे विद्यार्थियों पर सड़क छाप पढ़ रही हो ऐसा क्यों हो रहा है कि आज विद्यार्थी अपने मित्रों से अपने स्कूल के अध्यापकों के विषय में बात करता है और बड़े दुख से कहता है कि हमारे अध्यापक हमें सही नहीं पढ़ा रहे।
आज हमें इस पर मंथन करना होगा ऐसा क्या हुआ कि विद्यार्थी खुलकर बोल रहे हैं कि हमारे अध्यापक नहीं पढ़ा रहे चाहे सरकारी स्कूल हो या प्राइवेट सभी में यह समस्या बन रही है मित्रों अब वक्त आ चुका है इस पर मंथन करने का कि हमने शिक्षक बनना क्यों स्वीकार किया क्या यह हमारा कर्तव्य नहीं कि हम बच्चों को उसी प्रकार से पढ़ें जिस प्रकार से हम अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं
इस वीडियो को देख सभी अध्यापकों को मंथन करना होगा कि कहां पर गलती हुई कि विद्यार्थियों में इस प्रकार से भाव जागने लगे। सभी शिक्षकों को इस विषय में सोचना होगा और भारत के नवनिर्माण पर अपना योगदान देते हुए विद्यार्थियों को उसी प्रकार पढ़ाना होगा जैसे अपने बच्चों को घर पर रहती हैं