अंबादत्त तिवारी , अल्मोड़ा : मित्रो एक त्रिपुरा का चुनाव हारते ही बामपंथी लोगो में एकदम बदलाव आगया इसे मोदी का जादू ही कहा जा सकता है की बामपंथी मूर्ति विरोधी थे पर भाजपा ने उन्हें मूर्ति पूजक बना दिया , यह क्या भाजपा की बडी़ उपलब्धि नही तो क्या है।
डॉक्टर प्रदीप बहुत खूब कहते हैं “वाह रे मोदी तेरी अजब माया 4 साल में वामपंथियों को भी मूर्ति पूजक बनाया”
रणजीत कुमार का कहना है की ऐसा लग रहा है की त्रिपुरा में लेनिन मारा गया, रणजीत ने ज़ोर देकर कहा की यह सिर्फ एक तस्वीर नही है..यह सिर्फ एक मूर्ति का टूटना नही है। भले ही मूर्ति लेनिन की है मगर टूट कर गिरा आज वो वामपंथ है जिसने दशकों से अत्यचार,हत्या,बलात्कार का दमनचक्र चलाकर किसी क्रूर तानाशाह की तरह अपनी सत्ता सुरक्षित रखी थी…
और ये जो चौराहे पर वामपंथ की गुंडई का वैश्विक हस्ताक्षर सालों से लेनिन की मूर्ति के रुप में सजा था दरअसल इसका टूटना सिर्फ राजनैतिक नही है। सत्ता तो कई जगहों पर कई बार राइट लेफ्ट कांग्रेस भाजपा हुई है। उत्तर प्रदेश में मायावती जी के शासनकाल से ज्यादा मूर्तिया संभवतः विश्व के कई देशों ने नही देखी या बनाई होगी मगर सत्ता बदलने के बाद वो मूर्तियां तोड़ी नही गई..सत्ता मतावती के विरोधियों के पास हैं मगर वो मूर्तियां संरक्षित हैं…मगर त्रिपुरा में क्या हो गया कि अराजक कम्युनिष्ट शासन के जाते ही फावड़े बेलचे के साथ जनता टूट पड़ी. दरअसल तमाम राजनैतिक विरोधों के बाद भी उत्तरप्रदेश में वो मूर्तिया एक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती हैं जो अराजक नही है , परंतु लेनिन की ये मूर्ति पूरे विश्व में फेल हो चुके तबाही के कम्युनिष्ट मॉडल का प्रतीक स्तम्भ दिख रही थी और त्रिपुरा की जनता ने आज लेनिन की मूर्ति के साथ साथ वामपंथ का मेरुदंड तोड़ा है। यह स्वाभाविक प्रतिक्रिया है अपने ऊपर हुए दशकों तक के वामपंथी अत्याचारों का..यह तस्वीर है उत्सव है.यह तस्वीर है गुलामी के चिन्हों से स्वतंत्रता की…यह तस्वीर है मुक्ति की..यह तस्वीर है स्वतंत्र भारत की…..
जगजीवन जोत ने कांग्रेसियों और वामपंथियों पर निशाना साधा आउर कहा की लेनिन की मूर्ति के लिए इतनी बेचैनी और श्री राम के मंदिर के लिए इतनी घृणा …शर्म करो कांग्रेसियों और वामपंथियों । समाजसेविका ज्योति तिवारी ने बहुत खूब फेस्बूक में पोस्ट किया हे ” कमाल करते हो वामियों वैसे मूर्ति पूजा का मजाक उड़ाते हो और अब मूर्ति टूटने पर रो रहे हो।”
और वहीं देहरादून से नरसिंह दल के प्रधान अमित तोमर ने कहा ” Vladimir Lenin की मूर्ति खंडित करना दुर्भाग्यपूर्ण है पर त्रिपुरा में असंख्य मंदिर भी वामपंथियों द्वारा खंडित हुए थे। निश्चित ही यह प्रतिशोध ध्वनि राष्ट्र में छुपे चीनी/रूसी पत्रकारों को ना भायी हो और त्रिपुरा पर जंग छिड़ी हो। मेरा आग्रह अपने वामपंथी बन्दुओं से कि कृपया अब बंगाल प्रस्थान करे। वहां के घटनाक्रम वामपंथ के लिए अति आवश्यक है। क्योंकि अब बंगाल नही बचेगा। वामपंथ से घिनोना कुछ भी नही था ना कभी हो सकता है। सुना है त्रिपुरा और बंगाल में विवेकानंद और सुभाष बोस की अनेकों प्रतिमाएं विकास की भेंट चढ़ चुकी है। फिर यह राजनैतिक नौटँकी क्यो??? भारत उदय निश्चित है।