मीरपुर से एक प्रतिनिधि मंडल गांधी से मिलने मदद के लिए आया गांधी ने कहा कि मीरपुर में बर्फ पड रही है, इसलिए वहां सेना को नहीं भेजा जा सकता। जबकि, हकीकत यह थी कि मीरपुर में कभी बर्फ पड़ती ही नही है “गोलियों की बौछार से मैं बच कर भागी। इस वजह से मैं अपने परिवार से बिछड़ गई। मेरे साथ मेरे पति थे। हम कस्बे से कुछ दूर ही गए होंगे, तभी दंगाइयों ने हमें घेर लिया। उनके हाथों में कुल्हाड़ी, तलवार, फरसा आदि हथियार थे। महिलाओं और पुरुषों को अलग कर दिया गया। मेरे साथ करीब 30 से 40 महिलायएं थी जो एक अंधेरे कमरे में रहम की भीख मांग रही थीं। हम सब के साथ बारी-बारी कई बार यौन शोषण किया गया। चार दिन तक मुझे पाकिस्तान के कई हिस्सो में रखा गया, फिर मुझे मंडी ले जाया गया, जहां मुझे 20 रुपए में बेच दिया गया।”
हरभजन कौर की यह दर्दनाक कहानी बाल के. गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तक फॉरगॉटन एट्रोसिटीज़: मेमोरीज़ ऑफ़ अ सर्वाइवर ऑफ़ द 1947 पार्टीशन ऑफ़ इंडिया का अंश है।
बंटवारे से पहले मीरपुर (जो अब पाकिस्तान में है)
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के वक़्त मीरपुर शहर कश्मीर रियासत का हिस्सा था। यहां करीब 18 हजार से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। यही नहीं, 5 हजार से अधिक महिलाओं को अगवा कर खाड़ी के देशों और पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में 10-20 रुपयों में बेच दिया गया। 27 अक्टूबर 1947 को मीरपुर रियासत का विलय भारत में होने की घोषणा की गई थी, लेकिन उससे पहले ही पाकिस्तान ने मीरपुर और उसके आस-पास वाले शहरों को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था।
यह क्षेत्र सिर्फ़ कश्मीर के सेना की एक छोटी सी टुकड़ी के सहारे था। तनाव बढ़ता जा रहा था। पर भारत सरकार कश्मीर के मामले में दखल नहीं देना चाहती थी। कश्मीर में मीरपुर से एक प्रतिनिधि मंडल तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिला। उनसे वहां बिगड़ रहे हालात की चर्चा की गई, लेकिन भारत की तरफ से इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।
यह प्रतिनिधिमंडल महात्मा गांधी से भी मिला था, लेकिन गांधीजी ने कहा कि मीरपुर में बर्फ पड रही है, इसलिए वहां सेना को नहीं भेजा जा सकता। जबकि, हकीकत यह थी कि मीरपुर में कभी बर्फ पड़ती ही नहीं। मीरपुर के निवासी खुद को भारत का हिस्सा मान रहे थे। इसके बावजूद उन्हें मदद नहीं पहुंच सकी थी।
उसके बाद जो कुछ भी हुआ, वह मानवता के इतिहास पर कालिख है। 25 नवबंर को पाकिस्तानी कबीलाई सेना ने मीरपुर पर धावा बोल दिया। पाकिस्तान की फौज को जो भी मिला, उसका कत्लेआम कर दिया। जान बचाने के लिए हज़ारों की तादात में लोग दूसरे सुरक्षित स्थानों की तरफ पलायन कर गए। इधर पाकिस्तानी सेना ने लूटपाट मचाना शुरू कर दिया।
पाकिस्तानी सेना ने चौतरफ़ा घेराबंदी कर रखी थी। किसी को भी नहीं बख्शा गया। कहा जाता है की पाकिस्तानी फौज करीब पांच हजार युवा लड़कियों और महिलाओं का अपहरण कर पाकिस्तान ले गई। इन्हें बाद में मंडी लगाकर बेच दिया गया।
इसमें मारे जाने लोग उच्च जाति से भी नहीं थे OBC भी नहीं थे और ना ही नीची जाति से थे यह सिर्फ़ हिंदू थे
(गोवर्धन कथूरिआ की फेसबुक से लिया गया लेख )