दीपेश पंडित : दो चार दिन से देख रहा हूँ आदरणीय गोरक्षधाम के पीठाधीश्वर व प्रदेश के मुख्यमंत्री परम पूज्य योगी आदित्यनाथ जी द्वारा बजरंगबली पर की गई टिप्पणी से काफ़ी लोगों को तकलीफ़ हो रही है , हालाँकि मैं विवादित मुद्दों पर लिखने से बचता हूँ लेकिन एक तो योगी आदित्यनाथ की सेना का एक बानर हूँ दूसरा योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश का इतना अहसान है हमारे जिले और प्रदेश पर की फ़ेसबुकिया क्रांतिवीरों के कटु शब्द बर्दाश्त नहीं हो पा रहे वैसे भी बाबा ने क्या ग़लत कह दिया ??
आपकी धर्म पर समझ कितनी है..? इतिहास पर कितनी है..? उनका मंतव्य क्या था कुछ भी बिना सोचे समझे आप इस प्रकार की ओछि टिप्पणिया कैसे कर सकते हैं ??
मैं भी बजरंगबली बाबा का भक्त हूँ…हे बजरंगबली पहली बार आप पर लिखने की कोशिश कर रहा हूँ होने वाली ग़लतियों के लिए क्षमा प्रार्थी रहूँगा
!! ॐ अंजनी सुताय विद्धमहे वायु पुत्राय धिमहि
तंनो हनुमते प्रचोदयात ॐ !!
वैसे तो मैं ईश्वर को जाति के बंधन से बाधने का ही पक्षधर नहीं हूँ परन्तु अगर आज के परिदृश्य में देखा जाए तो बाबा द्वारा कही गई बात कहीं से भी ग़लत नहीं है..
बजरंगबली वनवासी थे जंगल में निवास करते थे ऐसा सभी मानते हैं
हिंदू संस्कृति के ह्रास के पूर्व सभी वनवासी भी वनवासी ही थे न की दलित या महादलित लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सत्य है कि
तब के वनवासी आज या तो दलित या महादलित हैं (SC/ST भले उसका कारण गोरे ईसाई समुद्री डकैत हों या मलेक्ष ) और इसका एक बड़ा कारण कहीं न कहीं अभिजात्य हिंदू वर्ग भी है !
अगर आपने अपने लाचार भाइयों का हाथ नहीं छोड़ा होता तो शायद वह आज उसी या बेहतर स्थिति में होते….
जिस प्रकार वनवासी दलित और महादलित हैं उसी प्रकार हनुमान जी भी वनवासी थे..
और योगी जी के कहने का भी संदर्भ वही था न कि कुछ और…
आप बजरंगबली की भक्तों की फ़ौज देखेंगे तो सबसे अधिक लोग हैं उनको पूजने वाले क्या मात्र आप ही उनके उपासक हैं ??
राम चरित मानस में खुद हनुमान जी ने कहा कि
“कहहु कवन मै परम् कुलीना।
कपि चंचल सबहीं बिधि हीना।।”
अर्थात
“मै बहुत कुलीन अर्थात बड़ी और पवित्र जाति का नही हूँ ।
बनवासी हूँ गिरिवासी हूँ वंचित वर्ग से हूं,…”
अब दूसरा बिंदु देखते हैं बजरंग बली हमेशा श्री राम के सेवक रहे भक्त रहे जो की आपकी बनाई गई वर्ण व्यवस्था का हिस्सा है उससे भी आप हम अस्वीकार नहीं कर सकते
फिर तुलसीदास जी लिखते हैं “काँधे मूँज जनेऊ छाजे ….!
जनेऊ पर ही मनन करके देख लीजिए शूद्र /सेवक वर्ग के लिए रस्सी नूमा जनेउ पहनने का विधान है इस पर विस्तार से फिर कभी परंतु नकारने से पहले ज्ञात करके आए , तुलसी दास जी रेशम का जनेऊ भी लिख सकते थे न ?? इन सब बातों को देखने समझने के पश्चात मुझे कदापि आपत्ति नहीं की योगी जी ने जो कहा वह सही है या नहीं
परशुराम जी को ब्राह्मण भगवान राम को क्षत्रिय बुद्ध को क्षत्रिय इत्यादि कहने वाले किस मुँह से बजरंगबली पर कही गई इस बात से पीड़ित हैं ?? कही गई बातों को समझने में विवेक ख़र्च कीजिए हर बात की आलोचना ही ज़रूरी नहीं अगर उनके दलित कहने से दलित वर्ग ख़ुद को हिंदुओ के साथ खड़ा पाता है तो मुझे नहीं लगता स्वयं बजरंगबली भी इस बात से आहत हों।
भांड़ मीडिया एक शब्द को पकड़ कर तिल का ताड़ बना देती है।ये कहकर दलितों का मान बढ़ाया योगी जी ने,वहाँ पर चुनावी सभा सम्बोधित कर रहे थे प्रवचन नही सुना रहे थे….!
जय श्रीराम
जय बजरंगबली
#hanuman