प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अंतर्देशीय मल्टी मॉडल जलमार्ग टर्मिनल राष्ट्र को समर्पित किया. इस जलमार्ग के लोकार्पण से न केवल क्षेत्रीय विकास और नए रोजगार सृजन को गति मिलेगी, बल्कि देश की समूची अर्थव्यवस्था को भी सकारात्मक लाभ मिलेगा.
खास दिन के खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गंगा मां को नमन. ये पल देश के लिए ऐतिहासिक हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हल्दिया से आए व्यावसायिक पोत आरएन टैगोर की अगवानी की. प्रधानमंत्री ने रिमोट कंट्रोल से क्रेन को स्टार्ट किया. वाराणसी से सटे रामनगर में तैयार ये मल्टी मॉडल टर्मिनल न केवल वाराणसी के लिए एक खास सौगात है बल्कि आज़ादी के बाद पहली बार व्यावसायिक जल परिवहन की शुरुआत भी हो गई. पहली खेप के तौर पर पेप्सिको के कंटेनर लेकर जलयान रामनगर में बंदरगाह के लिए 30 अक्टूबर को चला था. ये मल्टी मॉडल टर्मिनल सागरमाला परियोजना का पूरक है. अंतर्देशीय जलमार्ग को विकसित करने का मकसद बंदरगाह आधारित प्रत्यक्ष और अप्रत्क्ष विकास को बढ़ावा देना है. साथ ही बंदरगाहों के आधारभूत ढांचे को मजबूत करना भी है ताकि परिवहन, माल ढुलाई जल्द से जल्द हो सके वो भी बेहद कम खर्च पर.
प्रधानमंत्री ने वाराणसी में गंगा नदी पर पहले अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनल को राष्ट्र को समर्पित किया. ये राष्ट्रीय जलमार्ग-1 चार मल्टी मॉडल टर्मिनलों में से पहला है. इस टर्मिनल को विश्व बैंक की सहायता से अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने तैयार किया है. जलमार्ग विकास परियोजना के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्ग-1 भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट के जरिए बांग्लादेश से जुड़ जाएगा. राष्ट्रीय जलमार्ग-2 का संपर्क उत्तर-पूर्व से हो जाएगा जिससे विकास के नए द्वार खुलेंगे.
इसके अलावा जो तीन टर्मिनल बन रहे हैं उसमें साहिबगंज, हल्दिया और गाज़ीपुर हैं. परियोजना के तहत गंगा नदी पर पहली नदी सूचना प्रणाली विकसित की जा रही है, जिससे जहाजों की सुरक्षित आवाजाही हो सके. इस परियोजना को 5,369 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है. इसके अलावा 5 रोरो टर्मिनल भी विकसित किए जाएंगे.
देश के पहले मल्टी मॉडल टर्मिनल के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने जेटी पर जाकर परियोजना से जुड़े अहम बिंदुओं के बारे में जानकारी ली. जेटी 200 मीटर लंबी और 42 मीटर चौड़ी है. जेटी पर लंगर डालने की भी सुविधा है. जलमार्ग परिवहन का सबसे सस्ता माध्यम है. एक अनुमान के मुताबिक सड़क मार्ग से प्रति टन माल ढुलाई पर करीब 2 रुपये 60 पैसे प्रति किलोमीटर ख़र्च आता है. रेलमार्ग से ये ख़र्च 2 रुपये 41 पैसे, तो वहीं जलमार्ग से ये ख़र्च क़रीब 1 रुपये 6 पैसा प्रति किलोमीटर होता है. लिहाजा इस जलमार्ग के लोकार्पण से न केवल क्षेत्रीय विकास और नए रोजगार सृजन को गति मिलेगी, बल्कि देश की समूची अर्थव्यवस्था को भी सकारात्मक लाभ मिलेगा.