बदलते दौर और बढती चुनौतियों के बीच भारतीय सेनाओं को सशक्त बनाने की प्रक्रिया लगातार जारी है। इसी प्रक्रिया में आज का दिन थल सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। थल सेना के तोप खाने में आज तीन प्रमुख तोप प्रणालियों को शामिल किया जिनमें ‘एम777 अमेरिकन अल्ट्रा लाइट होवित्जर’ और ‘के-9 वज्र’ शामिल हैं। इन तोप प्रणालियों के आने से थल सेना के तोप खाने की मारक क्षमता पहले से कई गुना बढ़ गई है।
भारतीय सेना का 30 साल का लंबा इंतजार शुक्रवार को उस समय खत्म हो गया जब रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में नासिक के देवलाली तोपखाने केंद्र पर तीन प्रमुख तोप प्रणालियों को शामिल किया जिनमें ‘एम777 अमेरिकन अल्ट्रा लाइट होवित्जर’ और ‘के-9 वज्र’ शामिल हैं। ‘के-9 वज्र’ एक स्व-प्रणोदित तोप है। साथ ही फील्ड आर्टिलरी ट्रैक्टर को भी थलसेना में शामिल किया गया है जो कि एक ‘कॉम्पोजिट गन टोइंग व्हीकल’ है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इन तीनों का सेना में शामिल होना थलसेना की क्षमता और योग्यता हासिल करने की दिशा में मील का पत्थर है।
155 mm M777 A2 अल्ट्रा लाइट होवित्जर आधुनिक गन सिस्टम्स है। इराक और अफगानिस्तान में इस्तेमाल हुए ‘एम777′ मीडियम तोपों को हेलीकॉप्टरों द्वारा आसानी से ऊंचाई वाले दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी तैनात किया जा सकता है। 2006 से इसे लेकर बातचीत चल रही थी और पिछले तीन साल के अंदर इसे मुकाम तक पहुंचाया गया। 2016 में अमेरिका से 5,070 करोड़ रुपए की लागत का एक अनुबंध किया था। विदेशी सैन्य बिक्री कार्यक्रम के तहत यह अनुबंध किया गया था। के-9 वज्र’ को दक्षिण कोरिया से मंगाया गया है और भारत में लार्सन एंड टुब्रो के द्रारा असेंबल किया गया है। इसके शामिल होने से थलसेना की मारक क्षमता में जोरदार इजाफा होगा। वहीं स्वदेश में निर्मित 6×6 फील्ड आर्टिलरी ट्रैक्टर को अशोक लीलेंड ने बनाया है ये पुराने कॉम्पोजिट गन टोइंग व्हीकल की जगह लेंगे।
मंत्रालय के मुताबिक अगले साल के मध्य तक ‘एम777’ और ‘के-9 वज्र’ की पहली रेजिमेंट बनाने की तैयारी से पहले इन तोपों को थलसेना में शामिल किया गया है। आने वाले सालों में इस तरह की और प्रणालियों को सेना में शामिल किया जाएगा।
इस दौरान इनका एक डेमो भी किया गया। इस कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे, सेना प्रमुख बिपिन रावत और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद थे। सीमा पर दुश्मन की नौतियों के मद्देनजर इन तोपों की जरूरत काफी समय पहले से महसूस की जा रही थी और अब सेना जरुरत पडने पर दुश्मनों को मुंहतोड जवाब दे सकेगी।
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