तेगबहादुर के चलत भयो जगत में शोक,
है है है इह जगत में जै जै जै सुरलोक .
” श्रीगुरू तेगबहादुर जी का बलिदान भारतवर्ष के इतिहास की वह अलौकिक घटना है जिससे भारत के लोग के मन में यह विचार दृढ़ हुआ कि मुगलों का सामना किया जा सकता है ! इस अनुपम बलिदान ने भारत की अस्मिता के रक्षकों को झझकोर कर रख दिया! विश्व के इतिहास में किसी पुत्र ने अपने पिता को मानवता हेतु बलिदान देने के लिए प्रेरित नहीं किया! श्रीगुरू तेगबहादुर जी ने प्रभु सिमरन के साथ – साथ समाज के प्रति अपने कर्तव्य का ऐसा पालन किया कि सुरलोक में भी उनकी जय जयकार हुई!
गुरु साहिब ने अपना सारा जीवन मानवता की सेवा में अर्पण किया और अंत में अपने प्राण भी मानवता की भेंट चढ़ा दिए ! गुरु साहिब कहते थे कि न कोई किसी का वैरी है न ही कोई बेगाना है,, सभी में उसी अकाल पुरख की जोत है ! हम गर्व से कह सकते हैं कि अगर आज मानवता जीवित है हमारा प्रिय हिंदू धर्म जीवित है तो उसका सारा श्रेय श्रीगुरू तेग बहादुर जी को है!
आएं आज उनके बलिदान दिवस पर उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रण लेकर गुरुघर की खुशियां प्राप्त करें!
सतनाम श्री वाहेगुरु जी “