चंडीगढ़, 30 जुलाई : हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद की ओर से शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला की उपस्थित में शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने-अपने विभागों द्वारा की गई तैयारी का ब्योरा पेश किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण और उसके उद्देश्यों पर िवहंगम दृष्टि प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरस्वती की भूमि है। पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2030 से लागू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि हरियाणा इसे पांच वर्ष पूर्व 2025 से लागू कर रहा है। यह प्रदेश सरस्वती पुत्र की भूमिका को सार्थक कर रहा है। कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, शिक्षा मंत्री कंवर पाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा, प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों के कुलपति और वरिष्ठ शिक्षाविद उपस्थित रहे।
मुकुल कानितकर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल तत्व भारत को पुन: विश्व गुरु बनाने में निहित है। स्वतंत्र भारत के इतिहास पहली बार हुआ जब शिक्षा नीति में प्रत्यक्ष विश्व गुरु बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पूरी नीति में भारत हित को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा गया है। कानितकर ने कहा कि राष्ट्र स्वत्व जगाना ही शिक्षा का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि विकास के शिखर को छूने वाले प्रत्येक देश ने अपनी मातृभाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाया है। उन्होंने कटाक्ष किया कि अपने देश में अभियांत्रिकी और चिकित्सा की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से सिर्फ मानसिक गुलामी की वजह से करवाई जा रही है। इस मानसिक दासता से बाहर निकल कर ही हम अपने देश को सर्वोच्च शिखर पर ले जा सकते हैं।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि मैकाले की शिक्षा पद्धति का उद्देश्य इस देश में क्लर्कों की फौज खड़ी करना था। स्वतंत्रता के 70 साल बाद पूरे देश ने गहन चिंतन-मनन कर अपने देश के अनुकूल शिक्षा नीति तैयार की है। इस नीति को तैयार करने में करीब 2 लाख लोगों का योगदान रहा है। इस नीति में संस्कार, रोजगार और तकनीक के समावेश पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एकात्म मानव दर्शन के प्रेरणता पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने रोजगार असंतुलन पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति बाल मजदूरी, युवाओं की बेरोजगारी और वृद्धों की रोजी के लिए जद्दोजहद खत्म कर रोजगार का संतुलन स्थापित करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा की नींव मजबूत करने के लिए आगंनबाड़ी केंद्रों अपग्रेड कर प्ले-वे स्कूल बनाएं जा रहे हैं। 137 स्कूलों को बस्ता मुक्त किया जा रहा है। प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कोई भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित न रहे। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कौशल विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों का विवरण भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा में 800 प्रकार के कौशल विकास के लिए कार्यक्रम चल रहे हैं। इनसे 75 हजार युवा रोजगार के लिए सक्षम बनेंगे। मुख्यमंत्री ने संस्कृत श्लोक की व्याख्या करते हुए कहा कि विद्या से विनम्रता, विनम्रता से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख का मार्ग प्रशस्त होता है।