जी रया .. जागि रया .. यो दिनबार भेटने रया .. दुबक जस जड़ हैजो .. पात जस पौल हैजो .. स्यालक जस बुद्धि हैजो .. बाघक जस त्राण हैजो ..
हिमालय में ह्यूं हुन तक , गंगा में पाणि छन तक हरेला त्यार मनाते रया .. मनाते रया … ॥हैप्पी हरेला॥
डा. राजेश्वर उनियाल : देव भूमि कहा जाने वाला उत्तराखण्ड जहां अपने तीर्थ स्थलों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है वहीं यहां की संस्कृति में जितनी विविधता दिखाई देती है, शायद कहीं और नहीं है. उत्तराखण्ड को देश में सबसे ज्यादा लोक पर्वो वाला राज्य भी कहा जाता है. इन्हीं में से एक है हरेला.
श्रावण और हरेला की शुभकामनाएं , बंधुओं आज से से श्रावण का माह प्रारंभ हो गया है । इसी के साथ हम हरेला का त्योहार भी बड़े आनंद के साथ मना के साथ मना रहे हैं । एक समय था जबकि हरेला उत्तराखंड के केवल कुमाऊं अंचल में ही मनाया जाता था लेकिन धीरे-धीरे जाता था जाता था लेकिन धीरे-धीरे इस त्यौहार ने ने आज राष्ट्रीय रूप ले लिया है । लोगों में जागृति आ रही है और वह इस बात को अच्छी तरह समझने लग गए हैं कि पेड़ों से हमारी प्रकृति भी निखरती रहेगी तथा हमें प्रदूषण से भी मुक्ति मिलती रहेगी । वृक्षों के इस महत्व को जानकर उत्तरांचल उत्थान परिषद के विगत तीन दशकों के अथक प्रयासों के फलस्वरुप आज देश के हर राज्य में वृक्षारोपण कार्य किया जा रहा है ।