अल्मोड़ा , 31 मार्च : हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं, हनुमान जी को कई वर्षों से अनेकों धर्म के लोग पूजते आ रहे हैं परंतु दुःख की बात हे की उन्हें बन्दर के रूप में पूजा जा रहा है श्री हनुमान जी जो बहुत ही विद्वान ब्रह्मचारी वह शक्तिशाली पुरुष थे उन्हें बंदर बनाकर पूजा गया , शायद इसका एक कारण यह भी हो सकता है जो भी मंदिर में बैठे हैं उन्हें भी यह मालूम ना हो डॉक्टर श्रीराम ने कुछ वर्ष पहले एक पुस्तक लिखी जिसमें उन्होंने वेद एवं गुरु बाल्मीकि जी द्वारा लिखी रामायण से कई तथ्य उठाए और सिद्ध किया कि श्री हनुमान जी बंदर नहीं थे।
श्री हनुमान जी के जन्मोत्सव पर आज मैं आप सभी हनुमान भक्तों से आग्रह करता हूं कि जन-जन को यह बताएं कि श्री हनुमान जी वानर नहीं थे वह भी एक मानव थे डॉ श्री राम जी ने साहित्य शोध के और प्रमाण देकर यह साबित किया कि वह बंदर नहीं थे उन्होंने अपनी पुस्तक में अनेक परमाणु द्वारा यह सिद्ध किया है श्री हनुमान जी बहुत ही बड़े विद्वान ब्रह्मचारी व शक्तिशाली पुरुष पुरुष थे
हनुमान जी सभी देवों में ऐसे देव हैं जो अपने भक्तों के द्वारा प्रसन्न करने पर बहुत जल्द खुश हो जाते है। भक्तों के हर कष्ट को बस नाम लेने से ही हर लेते हैं भगवान हनुमान। भगवान हनुमान आज भी इस पृथ्वी पर जीवित स्थिति में भ्रमण करते हैं।
परंतु हमारे ही अपने भाइयों ने उन्हें बंदर घोषित कर रखा है श्री हनुमान जी जिनको महावीर जी भी कहा जाता है उनका हिंदू समाज व अन्य धर्मों में भी एक विशेष स्थान है श्रीराम के साथ रामायण के सर्व प्रमुख पात्र हैं यह भी हम कह सकते हैं कि अगर श्री हनुमान जी का सहयोग श्री रामचंद्र जी को राम मिलता तो सीता का भी पता लगाना संभव नहीं हो पाता इसी प्रकार लक्ष्मण जब मूर्छित हुए थे तो संजीवनी बूटी लाकर उन्हें पुनर्जीवित करना भी हनुमानजी के ही कारण संभव हो पाया था।
महर्षि श्री वाल्मीकि जी ने जो रामायण लिखी उसमें श्री राम जी के साथ-साथ हनुमान जी की भी शौर्य गाथा का वर्णन किया गया। लेखक श्री राम जी ने बताया कि तुलसीदास ने तो श्री हनुमान को कपि लिखकर पशु अर्थात बंदर ही घोषित कर दिया जबकि दूसरी रामायण लेखकों ने उन्हें वैदिक आदर्शों से ओतप्रोत महामानव प्रतिपादित किया।
महर्षि बाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण से यह भी साबित होता है कि हनुमानजी वेदों एवं व्याकरण के प्रकांड पंडित थे। और हनुमान जी सर्व शास्त्रों का ज्ञान रखते थे यह सब वाल्मीकि जी की रामायण में सिद्ध किया हुआ है बाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण श्री हनुमान जी को बंदर सिद्ध नहीं करती वह उनको मनुष्य ब्रह्मचारी विद्वान सर्व शास्त्रों के ज्ञाता महान व्याकरण व धुरंधर बता रहे हैं, जबकि यह गुण बंदर में हो ही नहीं सकते बंदर का गला इतना होता है कि वह स्पष्ट शब्दों का उच्चारण ही नहीं कर सकता इसीलिए आवश्यकता पर वह किलकारी ही मारता है श्री हनुमान को बंदर बताना आर्य सभ्यता का अपमान है और बुद्धिहीनता का परिचय देना है,
जो लोग वानर शब्द से श्री हनुमान जी को बंदर मानकर बैठे हैं उन्हें अपने भारत की जातियों का ज्ञान नहीं है आज भी वानर जाति के क्षत्रिय लोग भारत के कई हिस्सों में जैसे राजस्थान के बाड़मेर मध्य प्रदेश के आस पास जो जातियां रहती हैं उनकी जातियां के गोत्र वानर हैं