सरकार ने 328 फिक्स डोज कॉम्बिनेशन यानी FDC दवाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इन दवाओं को अब देश में बनाया या बेचा नहीं जा सकेगा। बैन दवाओं में कई ऐसी हैं, जिन्हें लोग फटाफट आराम पाने के लिए खुद से खरीद लेते हैं। आपको बता दें कि FDC दवाएं मरीजों के लिए खतरनाक होती हैं, कई देशों में इन पर बैन भी है।
तेज़ भागती दुनिया में अक्सर शरीर साथ छोड़ता हुआ लगता है और ऐसे में ज़रूरत होती है फौरन राहत की। चाहे सिर दर्द हो, सर्दी-खांसी हो या बुखार का आक्रमण, डॉक्टर की फीस और दवाई दोनों के खर्च और समय की दरकार हर बार शायद पूरी ना हो पाए। तो ऐसे में काम आती है कुछ ऐसी दवाएं जो केमिस्ट भी बिना किसी चिंता के आपको दे देता है और हमारा भी काम हो जाता है। लेकिन है बेहद ख़तरनाक।
इन ख़तरों को ही देखते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने तत्काल प्रभाव से मानव उपयोग के उद्देश्य से 328 फिक्स्ड डोज कांबिनेशन यानी एफडीसी के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध में विशेषकर उन दवाओं पर रोक लगाई गई है जो लोग जल्द आराम पाने के लिए मेडिकल शॉप से बिना डॉक्टर की सलाह के खरीद लेते हैं।
इसमें कई दवाएं सिरदर्द, जुकाम, दस्त, पेट दर्द जैसी बीमारी में ली जाती हैं।
इससे पहले केंद्र सरकार ने 2016 के मार्च में औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत मानव उपयोग के उद्देश्य से 344 एफडीसी के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया था। हालांकि, इससे प्रभावित उत्पादकों अथवा निर्माताओं ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में इस निर्णय को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 15 दिसम्बर, 2017 को सुनाए गए फैसले में दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इस मसले पर दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड द्वारा गौर किया गया, जिसका गठन औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 5 के तहत हुआ था। बोर्ड ने इन दवाओं पर अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंप दी। दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने अन्य बातों के अलावा यह सिफारिश भी की कि 328 एफडीसी में निहित सामग्री का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है और इन एफडीसी से मानव स्वास्थ्य को खतरा पहुंच सकता है।
बोर्ड ने सिफारिश की कि औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत व्यापक जनहित में इन एफडीसी के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है। प्रतिबंधित किए गई दवाओं में सेरिडॉन, सुमो जैसी दवाएं और कई तरह के ऐंटीबायॉटिक्स, दर्द-निवारक, शुगर और दिल के रोगों की दवाएं शामिल हैं।
जानकार तो यह भी कहते हैं कि देश में ऐसी कई और एफडीसी दवाएं हैं, जो सामान्य स्थिति में नुकसानदायक है, और उम्मीद कर सकते हैं कि इन पर कोई कदम उठ सकता है।