जगदीश भाटी : इस ऐतिहासिक पटकथा के महानायक गोरा बादल कहाँ हैं? इनका एक भी सीन ट्रेलर से लेकर फ़िल्म की स्क्रिप्ट तक मे नही है! ये तो हुआ इतिहास का विकृतिकरण!
माँ पद्मिनी को डोला में बिठाकर दिल्ली जाते दिखाया गया है! ये हुआ माता का सबसे बड़ा अपमान! इसका प्रमाण स्वयं सुरेश चव्हाण जी अपने वीडियो में दे रहे हैं कि अलाउद्दीन की बेगम राणा जी और माता को बचाती है! अगर वो दिल्ली न जाती तो बेगम किसे बचा रही थी?(वीडियो में ध्यान से सुनिए)
पूरी फिल्म में युद्ध नही दिखाया गया! सिर्फ राणा और अलाउद्दीन को लड़ते दिखाया गया जिसमे ये दिखाया गया कि काफूर पीछे से बड़ी आसानी से तीर मारता है और राणा जी मर जाते हैं!
मतलब सर कटने पर भी लड़ने वाले एक तीर से आसानी से मर गए! माता का अपमान सबसे बड़ा यहीं पर हुआ है कि उन्हें महल से जाते दिखाया गया है! और राजपूती इतिहास का अपमान यहां पर हुआ है कि राणा जी को छोड़ कर कोई लड़ा नही!
और गोरा बादल गायब!
जो लोग ये तर्क दे रहे हैं कि फ़िल्म में अलाउद्दीन की हैवानियत दिखाई गई है उसे देखनी चाहिए तो उनके लिए बस इतना कहूंगा कि उस आताताई राक्षस का इतिहास जानने के लिए एक फ़िल्म की आवश्यकता नही!
बच्चा बच्चा उस राक्षस को जानता है!
इतिहास के पन्ने पलट कर देखो सब दिख जाएगा! और हां इतना सब जानने के बाद भी जिन्हें फ़िल्म में हैवानियत देखने का बहुत शौक है वो अपनी बहन किसी मुल्ले को देकर देख ले! माता के इतिहास पर बकवास न करे!
मुल्ले तो अपनी इज्जत बचा ही रहे हैं अल्लाउद्दीन के इतिहास से!
पर तुम क्यो तुले हो माता के और राजपूतो के बलिदानी इतिहास को अपमान में बदलने के लिए?
मुझसे बात करो एक बार समर्थन कर नौटँकी फैलाने वालों!
मुँह तोड़ जवाब मिलेगा!
पहले इतिहास पढ़ आओ फिर बकवास करना!
अब गंगाजल तैयार रखें ओम स्वाहा करने के लिए