2019 के चुनावों के लिए कांग्रेस का घोषणा पत्र घोषित हुआ हैं। इस घोषणा पत्र
में अनेक ऐसे पहलू है। जिन पर चिंतन करने की आवश्यकता है। इस लेख के
माध्यम से हम पाठकों को सोचने के लिए प्रेरित करना चाहते है।
1. JNU में भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह इंशाल्लाह के नारे लगे। ऐसे
नारे वर्तमान में अपराध की श्रेणी में आते हैं। कांग्रेस द्वारा देशद्रोह
को अपराध की श्रेणी से हटाने का वायदा किया गया हैं। इसका परिणाम होगा कि
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और Right to Dissent के नाम पर शहरी नक्सली
रोजाना देश विरोधी, अलगाववादी और हिन्दू धर्म विरोधी बयानबाजी करेंगे। आप
कुछ नहीं कर पाएंगे क्यूंकि संविधान से वो धारा ही हटा दी जाएगी। जिसके
अंतर्गत ऐसे हरकतों पर अंकुश लगाया जा सके।
2.
हम सभी जानते है कि कश्मीर से लेकर उत्तर पूर्वी राज्यों में अलगाववाद को
विदेशी सुनियजित षड़यंत्र द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा हैं। इन
राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को सेना की सहायता से पिछले कुछ वर्षों में रोक
लगी हैं। ऐसे में सैनिकों को कार्यवाही के लिए अफ़स्पा कानून के तहत
विशेषाधिकार दिया गया हैं। युद्ध क्षेत्र में मानवाधिकारों का रोना वही
लगाते है जो विरोधी पक्ष के समर्थक होते हैं। अगर इस कानून को हटा दिया गया तो सेना का न केवल मनोबल टूट जायेगा अपितु विरोधी पक्ष की मन मांगी मुराद
पूरी हो जाएगी। सेना के कर्त्तव्य पर रोक लगाना पाकिस्तान को कश्मीर और चीन को उत्तर-पूर्वी राज्यों में अलगाववाद को बढ़ावा देने। इसके दूरगामी परिणाम पर क्या आपने कभी सोचा है?
3. आर्थिक नीति के
रूप में कांग्रेस ने देश के 20% परिवारों को सालाना 72000 रुपये देने की
घोषणा की है। यह राशि 3.60 लाख करोड़ बनती है, जो सरकार के कुल खर्च का 13% के बराबर हैं। यह हम सभी जानते है कि ऐसी घोषणाओं से चुनाव तो जीता जा
सकता है। मगर देश के विकास में लगने वाले धन को अगर ऐसे बाँटने लग जायेंगे तो विकास रुक जायेगा। घर बैठे तो एक पिता भी अपनी संतान को पूरा जीवन नहीं खिला सकता। फिर सरकार कैसे खिला देगी? आज देश को बिजली, पानी, सड़कें,
गैस,व्यापार,रोजगार, शिक्षा, स्वस्थ्य, सेना के आधुनिकीकरण, शोध, निर्यात
आदि के लिए नए साधनों की आवश्कता हैं। इनके विस्तार के लिए सरकारी
प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। इतनी बड़ी राशि को विकास के लिए प्रोत्साहन में खर्च करना दूरगामी नीति हैं। जबकि इतनी ही राशि को वोट के लिए बाँट
देना केवल लोकलुभावन अदूरदर्शिता हैं। क्या यह देश को आर्थिक रूप से रसातल
में लेकर जाने वाला कदम नहीं है?
4. कश्मीर और धारा 370 को लेकर कांग्रेस ने कहा है कि वह उसमें कोई बदलाव
नहीं करेगी। मैं सदा कहता हूँ कि कश्मीर की समस्या कोई राजनीतिक समस्या
नहीं हैं अपितु मज़हबी समस्या हैं। यह गजवा-ए-हिन्द के फ़तवे को पूरा करने की कवायद हैं। इसलिए भारत को इसे कूटनीतिक रूप से ही सुलझाना होगा। केवल
कश्मीरी पंडितों की घर-वापसी से कुछ नहीं होगा। आवश्यकता है कश्मीर को पूरे देशवासियों के व्यापार करने, बसने, रोजगार करने , जमीन खरीदने के लिए
अनुमति दी जाये। जैसे पुरे देश में लागु है। इससे जनसँख्या का संतुलन बन
जायेगा। विकास होते देख कोई पत्थरबाजी को रोजगार नहीं बनाएगा। अलगाववादियों के षड़यंत्र विफल होंगे। ऐसा केवल धारा 370 को हटाने से ही संभव है।
कांग्रेस का ऐसा करने से मना करना यही सिद्ध करता है कि वह जवानों की लाशों पर राजनीति करना चाहती हैं। मगर कश्मीर समस्या का समाधान नहीं चाहती। 5. कांग्रेस का कहना है कि वह भीड़ द्वारा हत्या, sc-st एवं अल्पसंख्यकों पर
हो रहे अत्याचार पर रोक लगायेगी। इसके लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन दोषी
होगा। एक प्रश्न मैं कांग्रेस के समर्थकों से पूछना चाहता हूँ कि क्या इस
देश में केवल मुस्लिम और ईसाई ही अल्पसंख्यक है? कश्मीर में हिन्दू
अल्पसंख्यक क्यों नहीं है? उत्तर पूर्वी राज्यों से लेकर बंगाल-केरल के
अनेक क्षेत्रों में हिन्दू अल्पसंख्यक क्यों नहीं हैं? देश के जिस इलाकों
में हिन्दुओं की जनसंख्या कम है। उन्हें अल्पसंख्यक क्यों नहीं गिना जाता? भीड़ हत्या के नाम पर आप केवल गौरक्षकों को अपना निशाना बनाएंगे और स्थानीय पुलिस को उन पर कार्यवाही के लिए दवाब बनाएंगे। मगर आप गौतस्करी पर लगाम
लगाने के लिए गंभीर क्यों नहीं दीखते। पुलिस सतर्क हो तो कोई गौतस्करी ही
नहीं कर पायेगा। न उससे भीड़ हत्या होगी। न ही कानून व्यवस्था में व्यवधान
पड़ेगा। इससे यही सिद्ध होता है कि आप चाहते है कि गौतस्कर अपना कार्य करते
रहे। पुलिस केवल उसे रोकने का प्रयत्न करने वालों पर कार्यवाही करे। यह
अंधेरगर्दी नहीं तो क्या है?
इस लेख में मैंने
कांग्रेस के घोषणापत्र की संक्षिप्त समालोचना लिखी है। पाठक निष्पक्ष होकर अपने विचार प्रस्तुत करे। यह लेख मेरे निजी विचार है। इसका आर्यसमाज के
संगठन की नीतियों से कोई सम्बन्ध नहीं है।
पहले TADA हटाया, फिर POTA हटाया और अब देशद्रोह कानून खत्म करने की तैयारी मे,
ये कांग्रेस कम लश्कर की शाखा ज्यादा लग रही है
क्या है धारा 124-ए, जिसे खत्म करने करने की बात कह रही है देश द्रोही संगठन कांग्रेस…
अब खुल कर पाकिस्तान जिन्दा बाद कह सकते है,,, अब खुल कर हिन्दूस्थान मुरदाबाद.. कह सकते है.. हिन्दू हिन्दूस्थान तैरे टुकड़े होगे… तैरी बर्बादी तक जंग रहेगी..! आंतकवादी भी खुलेआम घुम सकते है?
मंगलवार को कांग्रेस ने अपना घोषणा जारी कर दिया है। कांग्रेस ने इसमें वादा किया है कि सत्ता में आने के बाद वह राजद्रोह से संबंधित धारा 124-ए को समाप्त कर देगी। कांग्रेस के इस वादे पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई विपक्षी दल इसका स्वागत कर रहे हैं तो वहीं सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी इसे देश के लिए ‘खतरनाक’ बता रही है। हाल ही के चर्चित मामलों की बात करें तो काटूर्निस्ट असीम त्रिवेदी, हार्दिक पटेल, कन्हैया कुमार आदि को इस कानून के तहत ही गिरफ्तार किए गए थे।
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली का कहना है, “कांग्रेस के घोषणापत्र के मुताबिक, अगर उनकी सरकार आई तो आईपीसी से सेक्शन 124-ए हटा दिया जाएगा। यानी अब देशद्रोह करना अपराध नहीं होगा। इस प्रावधान को जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मनमोहन सिंह ने भी छूने का प्रयास नहीं किया। अब कांग्रेस कह रही है कि देशद्रोह का प्रावधान हटा दिया जाएगा। उन्होंने कहा, जो पार्टी ऐसी घोषणा करती है, वह एक भी वोट की हकदार नहीं हैं।”
कांग्रेस के घोषणा पत्र में क्या है?
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा है, ‘भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (जो कि देशद्रोह के अपराध को परिभाषित करती है) जिसका दुरुपयोग हुआ और बाद में नए कानून बन जाने से उसकी महत्ता भी समाप्त हो गई है, उसे खत्म किया जाएगा।
कांग्रेस का हाथ – आंतकवादीयो के साथ..