प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में नामांकन भरते समय दाह-संस्कार करनेवाले डोम राजा जगदीश चौधरी को अपना प्रस्तावक बनाकर सनातन को मर्यादित और गौरवान्वित किया।मणिकर्णिका घाट पर डोम राजा के नाम से प्रसिद्ध जगदीश 3 दशक से दाह-संस्कार कर रहे हैं।
“डोम राजा” को धरती का यमराज कहा जाता है,जो शवों का दाह-संस्कार करके मृत आत्माओं को मोक्ष का रास्ता दिखाता है।
डोम का अर्थ-ड+ओम=डोम
डोम शव्द से ओम ॐ की ध्वनि निकलती है।
डोम में ड+अ+उ+ओ+म=डोम
उ=शिव और ओम=ओंकार
अर्थात् ओम से सृष्टि तथा शिव से सृष्टि का संहार।
इनके आदि देव शिव हैं।
अद्वैतवाद के प्रवर्तक आद्य शंकराचार्य से काशी में डोम ने एक प्रश्न किया था-“आप किसे अपवित्र मानते हैं?मेरे इस नश्वर शरीर को ,पार्थिव शरीर को या फिर इस सत-चित,आनन्दमय आत्मा को?हे स्वामी!क्या यह सत्य नही है कि शिव का कण-कण सच्चिदानन्द में व्याप्त है।”
काशी के डोम ने ही उन्हें अद्वैत का सही ज्ञान कराया था।
प्रधानमंत्री की सूझ भरा यह धार्मिक भाव और कृत्य हमें मंत्रमुग्ध कर रहा है क्योंकि काशी के डोम और नाविकों को समझे बिना काशी को नही समझा जा सकता।
सनातनी शैव(डोम) को मान-प्रतिष्ठा देकर मोदी जी ने उन्हें जवाब दिया जो सदा हिन्दू पर जातिगत भेदभाव ,ऊंच-नीच का बिना समझे आरोप लगाते हैं।
हमारे दो राजा होते हैं एक राजा जो जीवन को संचालित करता है और दूसरा डोम राजा जो मरण पश्चात मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
धन्य है सनातन!
मोदी को नमन है।
#DomRaja
आदरणीय Rita Sinha जी की लेखनी।
कौन है जगदीश चौधरी?
वाराणसी के विभिन्न घाटों पर अंत्यविधि करके आजीविका चलाने वाला समाज है डोम समाज। सैकड़ो वर्षों से यही क्रम इनकी आजीविका का स्त्रोत है। इन्हें धार्मिक कार्य, शादी ब्याह जैसे खुशी के अवसरों पर शामिल नहीं किया जाता। निंदा- अवहेलना रोज ही मिलती है। प्रेत को मुखाग्नि देने जैसा पवित्र कार्य करने के बाद भी इतर पवित्र कार्यक्रमों में इन्हें नहीं बुलाया केजाता यह हमारे समाज की विडंबना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस परंपरा को खंडित करते हुए इन डोम राजा को सम्मानित किया। किदवंतीयों के किसी जमाने में राजा हरिश्चंद्र के वंशज रहे है ( जबकि यह लोग राजा हरिश्चंद्र के वंशज नहीं है बल्कि राजा हरिश्चंद्र को क्रय करके दास बनाने वाले डोम राजा के वंशज हैं ) इन समाजसेवकों को सम्मानित कर एक प्रधानसेवक ने खुद सामाजिक समरसता, समानता का नया अध्याय लिखते हुए दांभिक धर्मांधों और द्वेषी विरोधकों काशी की धरती पर धोबी पछाड़ दी है।
मोदीजी ने इन्हें किसी शुभ कार्य में सम्मिलित न करने की प्रथा को तोडने के कारण यह घटना ऐतिहासिक, सामाजिक बदलाव लाने वाली होगी ऐसी भावुक प्रतिक्रिया प्रवीण चौधरी जी ने दी है। सच्चे शाश्वत सामाजिक अभिसरण-समरसता की यह ऊपर से होने वाली शुरुआत समाज के निचले स्तर तक अवश्य ही पहुँचेगी ऐसी हार्दिक कामना है।
साभार मन्दार पांडे व अभिनव सिंह ,
Dinesh Patel जी की वॉल से साभार।