सर पे छत न पांव पादुका उम्र अस्सी पार की,
तन छोटा पर मान हिमालय है आन गुरु पुकार की,
टुकड़े टुकड़े कहने वालों सुनों खोल के कान तुम,
हैं हिन्दू की शान गुरुजी और शुरुआत तुम्हारी हार की…….!
मीडिया के बहकावे में आकर इनको गाली देने से पहले या इनके उपर दंगे भडकाने का स्टीकर चिपकाने से पहले जान लीजिये की ये व्यक्ति है कौन ? नाम है डॉक्टर संभाजी भिड़े । साधारण सा दिखने वाला ये आदमी साधारण नहीं बहुत विशेष है। आप एटॉमिक साइंस मे गोल्ड मेडलिस्ट हैं। आप पुणे के प्रतिष्ठित फेगर्सन कॉलेज में प्रोफेसर रह चुके हैं। आपको आपके कार्य के लिये १०० से भी ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कारों पुरुस्कृत किया जा चुका है। आपने ६७ डॉक्टोरल एवं पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च कार्य किये हैं। आप नासा एवं पेंटागन के सलाहकार सद्स्यों की कमेटी के सद्स्य रह चुके हैं, ये गौरव प्राप्त करने वाले आप पहले और एक मात्र भारतीय वैज्ञानिक हैं। हिंदुत्व के लिये आपका योगदान अवर्णनीय है। वर्तमान में आपका निवास स्थान सबनिसवाडी सतारा में है। आपने प्रचारक के तौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में भी अपनी सेवायें दी हैं। १९८० में आपने स्वेच्छा से संघ से मुक्त होकर “शिव प्रतिष्ठान” नामक एक स्वयंसेवक संगठन का निर्माण किया।
आज ये महापुरुष किसी मल्टीनेशनल कंपनी के लिये काम नहीं कर रहा। बल्कि गांव गांव फिरकर गरीबों की सेवा करना उनको शिक्षित करना उन्हें रोजगार दिलाना ही इनका मुख्य कार्य है। आज महाराष्ट्र मे १० लाख से भी ज्यादा युवा इनको फॉलो करते हैं। इन्होंने मां भारती की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। ये सिर्फ खादी पहनते हैं और बिना चप्पल के यात्रा करते हैं चाहे कितनी दूरी की क्यों न हो। ये मानव नहीं महामानव है, राष्ट्र के लिये अपना सब कुछ समर्पित करने वाले ऐसे महापुरुष पर दंगे भडकाने का आरोप लगाना राजनीति के रसातल में जाने के संकेत हैं।
२०० साल से अंग्रेजों की जीत का जो भीमाकोरेगांव उत्सव है जिसे शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है, भिडे जी ने इसे न मनाने के लिये विनम्र निवेदन किया और महारों को समझाने के लिये एक बैठक बुलाई। ३१ दिसंबर को उमर खा-लीद और जिग्नेश मेवाणी ने भिडे जी के खिलाफ भडकाऊ भाषण दिये जिससे वहां की स्थानीय जनता भडक गयी और कुछ हाथापाई हुई। अब इसमें भिडे जी का क्या दोष ?
एक तरफ तो उमर खालिद और उसके जैसे लोग जो झूठी पब्लिसिटी के लिए कार्य करते है और भड़काऊ भाषण देकर दंगा फैलाकर अपनी राजनीति चमकाते है और कुछ लोग इन जैसों को अपना असली जननायक मान लेते हैं उनको सलाह है कि अगर एक जननायक और राजनेता में फर्क देखना होतो वो एक तरफ उमर खालिद जैसे पाकिस्तान परस्त और साथ ही कुछ फर्जी हिन्दूवादियो को तथा दूसरे तरफ संभाजी गुरुजी को देख सकतें हैं, फर्जी देशभक्तों का काम फ्लाइट में घूम घूम कर पब्लिसिटी के लिए भड़काऊ भाषण देना दंगे करवाना है वहीं दूसरा बिना चप्पल के पूरे महाराष्ट्र में घूम घूम के गरीबों की सहायता करता है और युवाओं के अंदर देशभक्ति का जज्बा जगा कर उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाने का काम करता है। ऐसे हैं हमारे भिड़े गुरुजी जिनका पूरा जीवन देश धर्म को समर्पित है और हमें गर्व है कि देश और धर्म सेवा के इस महान कार्य में हमें ऐसे महान गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य मिला । ———-