सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 16 जुलाई को अपना जो फैसला सुरक्षित रख लिया था, सोमवार को उसकी घोषणा कर दी. निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंज़ारा समेत 5 पुलिस अधिकारियों और साथ ही गुजरात पुलिस के अधिकारी विपुल अग्रवाल को भी आरोपमुक्त कर दिया, जिनकी याचिका निचली अदालत ने खारिज कर दी थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए पूर्व एटीएस प्रमुख डीजी वंजारा समेत अन्य पुलिसकर्मियों को आरोपों से बरी कर दिया है.
अदालत ने कहा कि इन अधिकारियों को आरोपमुक्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली अर्जी में कोई दम नहीं है. इस मामले में गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंज़ारा समेत 5 पुलिस अधिकारियों और साथ ही गुजरात पुलिस के अधिकारी विपुल अग्रवाल को भी आरोपमुक्त कर दिया, जिनकी याचिका निचली अदालत ने खारिज कर दी थी.
गुजरात के आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियन, गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंज़ारा, गुजरात पुलिस के अधिकारी एनके अमीन, राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन और राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल दलपत सिंह राठौड़ को आरोपमुक्त कर दिया गया है. साथ ही गुजरात पुलिस के अधिकारी विपुल अग्रवाल को भी आरोपमुक्त कर दिया गया है, जिनकी याचिका निचली अदालत ने खारिज कर दी थी. सोहराबुद्दीन शेख, पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के मुठभेड़ से संबंधित मामले में अग्रवाल सहआरोपी थे.
ये मामला 2005-06 का है, जब मुठभेड़ में शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसका सहायक तुलसीराम प्रजापति मारे गए थे. सीबीआई ने इसे फर्ज़ी मुठभेड़ करार दिया था लेकिन गुजरात पुलिस ने तब दावा किया था कि सोहराबुद्दीन शेख के आतंकवादियों से संबंध थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला गुजरात से मुंबई की विशेष अदालत में स्थानांतरित किया गया था, जहां 2014 से 2017 के बीच 38 लोगों में से 15 को आरोपमुक्त कर दिया गया था.
सोहराबुद्दीन शेख के भाई रुबाबुद्दीन और सीबीआई ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी.