हैदराबाद : श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर के पुजारी सीएस रंगराजन ने मंत्रोच्चार के बीच एक दलित को अपने कंधे पर बिठाकर मंदिर में प्रवेश करा कर उन्होंने 2700 साल पुरानी परंपरा को फिर से कायम किया , वह इस दलित युवक को प्रसिद्ध मंदिर के गर्भगृह में ले गए, इस परम्परा को मुनिवाहन सेवा कहा जाता है।
पंजाब केसरी में छपी खबर के अनुसार इस परंपरा को सनातन धर्म का असली संदेश पहुंचाने और समाज में बराबरी का संदेश के लिए निभाया जाता है। इस प्रथा को एक बार फिर जीवित कर दलितों के साथ भेदभाव और उनके शोषण को खत्म करने की कोशिश की गई है। साथ ही भाईचारे का संदेश भी दिया गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कई लोग निजी स्वार्थ के चलते देश का माहौल खराब करने में लगे हैं।
अल्मोड़ा से पंडित अम्बादत्त तिवारी ने कहा की हमरे देश में दलितों को लेकर अन्य धर्म के लोग कई झूटी बातें बना कर मिडिया में छपवाते हैं , जबकि संतान धर्म सदा ही सभी जातियों को एक सामान मानता आया है, यही कारन हे की आज हैदराबाद के चिल्कुर बालाजी मंदिर के पुजारी सीएस रंगराजन ने एक दलित युवक को अपने कंधे पर बिठाकर मंदिर के भीतर लेकर गए और भगवान के दर्शन करवाए और उनसे पूजा भी करवाई।
बताया जा रहा हे की तमिलनाडु में लोकसारंग नाम के संत भी एक दलित को कंधे पर बिठाकर मंदिर में ले गए थे, तथा वही दलित बाद में 11वें अलवार वैष्णव संत तिरुप्पन के नाम से प्रसिद्ध हुए।