NOTA वाले हिन्दू शायद भूल गए कांग्रेस का “दंगा नियंत्रण कानून”, न तुम बचोगे न तुम्हारी महिलाएं ।
Communal Violence Bill बहुत से लोग जो अभी अभी बड़े हुए है उनको कांग्रेस के दंगा नियंत्रण बिल का कुछ पता नहीं होगा, पर बहुत से लोगों को इस बिल के बारे में पता होगा ।
कहा जाता है 2011 में इस बिल के रुपरेखा को सोनिया गाँधी की विशेष टीम ने बनाया था जिसे NAC भी कहते थे, इस टीम में दर्जन भर से ज्यादा मेम्बर थे और सब वही जिन्हें आजकल अर्बन नक्सली कहा जाता है ।
Communal Violence Bill कांग्रेस का कहना था की इस बिल के जरिये वो देश में होंगे वाले दंगों को रोकेगी, और इसी कारण इस बिल को दंगा नियंत्रण कानून भी कांग्रेस बता रही थी, अब इस बिल में कई प्रावधान थे, जरा नजर डालिए – –
कहा जाता है कि उसमे प्रस्ताव था कि अगर कोई अल्पसंख्यक आपके खिलाफ सिर्फ यह आरोप लगा दे कि मुझसे भेदभाव किया गया है तो पुलिस को अधिकार था आपके पक्ष को सुने बिना आपको जेल में डालने का, और इन केसों में जज भी अल्पसंख्यक ही होगा ।
मतलब अगर आपके घर में कोई कमरा खाली है और कोई मुस्लिम आपके घर आता है उसे किराए पर मांगने के लिए तो तो आप उसे कमरा देने से इंकार नहीं कर सकते थे, क्योंकि उसे बस इतना ही कहना था कि आपने उसे मुसलमान होने की वजह से कमरा देने से मना कर दिया यानि आपकी बहन बेटी को छेड़ने वाले किसी अल्पसंख्यक के खिलाफ भी हम कुछ नहीं कर सकते थे।
मतलब कि अगर कोई छेड़े तो छेड़ते रहने दो वर्ना वो आपके खिलाफ कुछ भी आरोप लगा देता…..आपकी सीधी गिरफ़्तारी और ऊपर से जज भी अल्पसंख्यक ।
देश के किसी भी हिस्से में दंगा होता, चाहे वो मुस्लिम बहुल इलाका ही क्यों न हो, दंगा चाहे कोई भी शुरू करता पर दंगे के लिए उस इलाके के वयस्क हिन्दू पुरुषों को ही दोषी माना जाता और उनके खिलाफ केस दर्ज कर जांचें शुरू होती।
और इस स्थिति में भी जज केवल अल्पसंख्यक ही होता ऐसे किसी भी दंगे में चाहे कि