गोवर्धन कथूरिआ : असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाले देश के सबसे बड़े पुल का निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में पहुँच चूका है. सरकार का लक्ष्य है कि- 25 दिसंबर 2018 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी के जन्मदिवस पर इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया जाए. इस पुल के बन जाने असम और अरुणाचल की दूरी बहुत कम हो जायेगी.
इस पुल की आधारशिला अपने प्रधानमंत्री काल में अटल बिहारी बाजपेई जी ने 21 अप्रैल 2002 को रखी थी और बहुत तेजी से काम शुरू हुआ था. परन्तु देश के दुर्भाग्य से 2004 में भाजपा चुनाव हार गई और सत्ता से बाहर हो गई. भाजपा के सत्ता से बाहर होते ही भाजपा द्वारा शुरू की गई लगभग सभी विकास योजनाए धीमी अथवा बंद हो गईं.
घोटालों से परेशान होकर देश की जनता ने 2014 में फिर से भाजपा को जिताया और भाजपा की जीत के साथ ही अटला जी द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं को फिर से शुरू कर दिया गया. “बोगीबील रेलरोड ब्रिज” उन्ही परियोजनाओं में से एक है. यह पुल देश का अबतक सबसे बड़ा रेलरोड ब्रिज ( लगभग 5 KM) लम्बा होगा.
गौरतलब है कि – पिछले बर्ष भी इसी प्रकार, अटल जी के एक प्रोजेक्ट ढोला सादिया ब्रिज ( भूपेन हजारिका ब्रिज) को मोदी सरकार द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था. असम और अरुणाचल के भाजपा कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि- “बोगीबील ब्रिज” का नाम “अटल सेतु” किया जाए. ज्यादातर देशवाशियों ने इसका समर्थन किया है.
कांग्रेस के शासन काल में पूर्वोत्तर राज्यों के लोग और शेष भारत के लोग एक दुसरे से कटकर रहते थे. यही बजह थी कि- पूर्वोत्तर शेष भारत के लिए और शेष भारत पूर्वोत्तर के लिए एक रहस्य बना हुआ था. पहले संघ के स्वयंसेवकों ने दिलों को मिलाया और अब भाजपा सरकार विकास योजनाओं द्वारा जमीनी दूरी कम कर रही है.
देशवाशियों – 2004 में आपके द्वारा की गई गलती ने देश को कितना नुकशान पहुंचाया था. अब दुबारा यह गलती मत करना, उस गलती की सजा में आपको बिना जुवान वाला मिला था और अबकी अगर गलती की तो बिना दिमाग वाला मिलेगा. मोदी जी को अगला कार्यकाल देकर अटल जी के नदी संयोजन के सपने को भी पूरा करवाना ह