हे शब्दों के साधक श्रीमंत, हे राजनीति के महा संत। तुमको अभिनंदन, हे आदरणीय अटल श्रेष्ठ, तुमको अर्पित भाव सुमन। ।
इन शब्दों की भावाँजलि माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की स्मृति में भारतीय शिक्षण मंडल एवं स्वामी विवेकानंद पीठ के संयुक्त तत्वावधान में गुरुतेग बहादुर सभागार में आयोजित “काव्यांजलि ” में कवियों ने भाव प्रस्तुत किये। कवि सुशील नरेलवी ने अटल जी की परिचय कविता” हिन्दू तन मन हिन्दू जीवन, रग रग मेरा हिन्दू परिचय” को सुनाकर अटल जी को याद किया। डॅा अश्वनी शांडिल्य ने हिन्दी भाषा के प्रति अटल जी के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा” शरमाते थे जब नेता अपनी ही भाषा को लेकर,
यू०एन०ओ में तब तूने हिन्दी का मान बढ़ाया था”।
गुड़गाँव से आई कवयित्री महक भारती ने सस्वर कविता ” बाबा की बिटिया न कभी होगी सयानी के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया कवि विजय कपूर, अमरजीत अमर , जितेन्दर परवाज, अजय राणा, अत्री जी एवं सविता कपूर ने अपनी कविता के माध्यम से अटल जी को शब्दों की भावाँजलि दी । कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर जयप्रकाश सेवानिवृत्त हिन्दी विभागाध्यक्ष पंजाब विश्वविद्यालय ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अटल जी को राजनीति का संत और प्लेटो का फिलासफर किंग कहा। अटल ने राष्ट्र के लिए आत्मोत्सर्ग किया। कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। एक वोट के लिए अपनी सरकार कुर्बान कर दिया लेकिन सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
अटल जी का जीवन राजनीतिक सिद्धांतों का विश्वविद्यालय है। उनके सकारात्मक सोच” जंग नहीं होने दूँगा” “रार नहीं ठानूंगा, हार नहीं मानूंगा ” के माध्यम से भारतीय नेता और जन मानस बहुत कुछ सीख सकता है। माननीय दयानिधि जी ने अटल जी के जीवन से शुचिता और आदर्श अपनाने के लिए कहा और उनके जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। भारतीय शिक्षण मंडल के संयोजक प्रोफेसर संजय कौशिक ने आए हुए सभी कवियों, श्रोताओ का स्वागत किया । कार्यक्रम का संचालन बहुत कुशलता से अटल जी की कविताओं को बीच बीच में ओजपूर्ण स्वर में सुनाते हुए डॅा अरविंद कुमार द्विवेदी ने किया ।
कार्यक्रम में हिन्दी विभागाध्यक्ष डॅा गुरमीत सिंह , डॅा अशोक कुमार, ।यूसोल की चेयरपर्सन प्रोफेसर योजना रवत, विधि विभाग से प्रोफेसर। योजना रावत, विवेकानंद पीठ की अध्यक्षा प्रोफेसर नंदिता जी, डॅा ए. एन सिंह, सीनेटर डॅा जगदीश मेहता, डॅा। मधुर, डॅा राजेश एवं चंडीगढ़ इकाई के। प्राचार्य डॅा सतीश शर्मा के साथ भारतीय शिक्षण मंडल की इकाई। उपस्थित रही। अंत में डॅा। राजेश झांब जी ने सबका आभार प्रकट किया।