देवेंद्र शर्मा : हाल ही में तीन नए देशों का सृजन हुआ है।
1.ईस्ट तिमोर,
2.दक्षिणी सूडान
3. कोसोवो
क्या हम अधिकांश भारतीयों को यह पता है इन देशों का निर्माण किस आधार पर हुआ है? इन देशों का निर्माण जनसांख्यिकीय परिवर्तन के कारण हुआ है। जागो हिंदू जागो मुहिम के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता मनोज जोशी ने समस्त हिंदू समाज से आग्रह किया है कि वह जाति के बंधन से बाहर निकले और जाने हम सब हिंदू एक हैं हम सब सनातनी हैं अगर हम एक न हुए तो हम बिखर जाएंगे और वह दिन दूर ना होगा जब हम पर विधर्मी हावी होगा, आप जिसे भी वोट दें ठीक है पर हिन्दू धर्म से गद्दारी न करें ।
आप खुद देख सकते हैं किस प्रकार इन देशो का निर्माण धर्म के आधार पर कर दिया गया ।
1-ईस्ट तिमोर (2002) : जो इंडोनेशिया का एक भाग था में पहले ईसाइयों की आबादी बहुत कम थी, मुसलमानों एवं अन्य मत के मानने वाले लोगों की आबादी 80% से अधिक थी केवल 50 वर्षों में ईसाई मिशनरियों के प्रयत्न से ईस्ट तिमोर में ईसाइयों की जनसंख्या 80% से अधिक हो गई, परिणाम स्वरुप संयुक्त राष्ट्र के दखल से जनमत संग्रह करा कर ईस्ट तिमोर नाम के देश का निर्माण कर दिया गया। कोई युद्ध नहीं हुआ।
2-दक्षिणी सूडान (2011) : सूडान के दक्षिणी क्षेत्र में गरीबी थी, मिशनरियों के प्रभाव में कुछ आदिवासी लोगों को पहले ही ईसाई बनाया गया।
धीरे धीरे इस मुस्लिम बहुल देश को दक्षिणी क्षेत्र में ईसाइयों से भर दिया गया।
फिर गृह युद्ध करा दिया गया। शांति प्रयास संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में हुए और परिणिति दक्षिणी सूडान को काटकर ईसाई देश के रूप में नए देश की मान्यता दे दी गई।
3-कोसोवो (2008) : सर्बिया के भीतर एक ऐसा क्षेत्र था जिसमें खदानें बहुत अधिक थीं। इन खदानों में काम करने के लिए अल्बानियाई मूल के मुसलमानों को मजदूर के रूप में लाया गया था।कालांतर में इनकी संख्या बढ़ गई। यूगोस्लाविया के विघटन के बाद सर्बिया स्वतंत्र देश बना। लेकिन मुसलमानों ने सर्बों के अधीन रहना स्वीकार नहीं किया और कोसोवो को अलग देश बनाने की मांग किया। गृहयुद्ध जैसी स्थिति कई वर्षों तक रही। फिर नया देश बन गया।
भारत के कई क्षेत्रों में योजनाबद्ध तरीके से जनसांख्यकीय परिवर्तन किए जा रहे हैं। हालाँकि बहुसंख्यक आबादी इससे अनजान है।
विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों मे ऐसा होने से गैरकानूनी एवं आतंकी गतिविधियां बढ़ रही हैं। यदि हम भारत की अखंडता बनाए रखना चाहते है तो हमें समस्या का समाधान जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर ही खोजना चाहिए।