समाचार पत्रों में प्रकाशित अपने लेख में प्रधानमंत्री ने कहा 130 करोड़ भारतीय और अधिक स्वच्छ व हरे भरे पर्यावरण के प्रति जागरूक और सक्रिय होकर काम कर रहे हैं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र का चैम्पियन्स ऑफ द अर्थ पुरस्कार भारतीय संस्कृति और मूल्यों का सम्मान है, जो प्रकृति से सामंजस्य रखते हुए जीवनयापन पर जोर देते है। एक अखबार में लिखे लेख में पीएम मोदी ने कहा कि मानव समाज आज एक महत्वपूर्ण चौराहे पर खड़ा है। हमने जो रास्ता तय किया है वह न केवल हमारा कल्याण निर्धारित करेगा, बल्कि हमारे बाद इस ग्रह पर आनेवाली पीढ़ियों को भी खुशहाल रखेगा। इसके बाद उन्होंने तीन चीज़ों का उल्लेख किया कि एक समाज के रूप में हम कैसे सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहला है आंतरिक चेतना, और इसके लिए अपने गौरवशाली अतीत को देखने से बेहतर कोई स्थान नहीं हो सकता। प्रकृति के प्रति सम्मान भारत की परंपरा के मूल में है। उन्होंने कहा कि दूसरा पक्ष जन जागरण का है। हमें पर्यावरण संबंधी प्रश्नों पर यथासंभव बातचीत करने, लिखने और चर्चा करने की आवश्यकता है। इसके साथ पर्यावरण संबंधी विषयों पर अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन देना भी महत्वपूर्ण है। इस तरह अधिक से अधिक लोगों को हमारे समय की गंभीर चुनौतियों को जानने और उन्हें दूर करने के प्रयासों के बारे में सोचने का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम एक समाज के रूप में पर्यावरण संरक्षण से अपने मजबूत रिश्तों के बारे में जागरूक होंगे, और उसके बारे में नियमित रूप से चर्चा करेंगे, तब सतत् पर्यावरण की दिशा में हम स्वयं सक्रिय हो जायेंगे। इसीलिए सकारात्मक बदलाव लाने के लिए मैं सक्रियता को तीसरे पक्ष के रूप में रखता हूं। हमारा देश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर विशेष ध्यान दे रहा है और पिछले चार वर्षों में इस क्षेत्र काफी सुगम और वहन करने योग्य बन गया है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में काम करने वाले व्यक्तिों और संगठनों को सरकार की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।