“अवैध बंगलादेशी गिरफ्तार” आज सभी बड़े समाचारपत्रों में इस खबर को प्राथमिकता से छापा, अधिकांश क्षेत्रीय चैनलों ने भी यह खबर प्राथमिकता से बेची। रात सूचना मिली कि एक हिन्दू बंगलादेशी को सहसपुर पुलिस ने अवैध कागज़ात रखने और अवैध रूप से भारत मे रहने के आरोप में गिरफ्तार किया। साथ ही LIU यूनिट को भी श्रेय मिला।
निश्चित ही यह एक शानदार पुलिसिंग का उद्धारण है जिसके लिए खाकी की सजगता को प्रणाम। मुझे रात यह भी बताया गया कि जो बंगलादेशी पकड़ा गया हो हिन्दू ब्राह्मण है जो जान बचा किसी प्रकार देहरादून पहुंचा है।
आज विकास नगर कचेरी में कुछ केस लगे थे तो मार्ग में सहसपुर थाना पड़ता है, रात्रि में मिली सूचना मुझे थाने के भीतर घसीट ले गयी और किसी प्रकार इस “अवैध बंगलादेशी” से मिल सका। नाम पूछा तो बताया कि उसका नाम आलोक मुखर्जी है और उसका परिवार बंगलादेश के एक सुदूर गांव में रहता है, उसके पिता एक पंडित है जो कर्म-कांड आदि काम करते है।
उसके पिता पर अनेको बार जिहादियों द्वारा हमले किये गए और उसके पिता किसी प्रकार बचे। बंगलादेश के जिहादी जमात-ऐ-इस्लामी संगठन द्वारा उसके गांव में मंदिर तोड़े गये और इस अपराधी का हाथ बीच से तोड़ दिया गया, लड़खड़ाती हिंदी में यह मासूम 19 साल का आलोक मुझे अपना हाथ दिखा रहा था, हाथ लगभग एक फुट सिला हुआ था मानो किसी जानवरों के डॉक्टर ने सिलाई की हो, पूछा चोट कैसी लगी तो बताया कि जमात के लोगो ने घर जलाने का प्रयास किया था, प्रतिरोध में उसका हाथ काट दिया, उसकी दोनो आंखे पानी बहा रही थी।
मैंने साहस कर उससे पूछा,” तुम्हारे माँ-बाप को बता दूं कि तुम पकड़े गए और जेल जा रहे हो”, वो बिलख उठा और टूटी-फूटी हिंदी-बांगला में बोल “दादा, मैं भारत यह बोल आया था कि अपने माँ-बाप और भाई-बहन को भी जल्द इस्लामी नरक से निकल भारत ले आऊंगा, यदि उन्हें पता चला कि मैं पकड़ा गया तो शायद वो सब मर जायेंगे, मैं उनकी एक मात्र उम्मीद हूँ”, किसी प्रकार उसने 1 साल का भारत का वीजा लिया और जान बचाने कथाकथित “हिन्दू राष्ट्र” में शरण मांगने आ पहुंचा। दुर्भाग्य से इस मासूम बच्चे को यह नही पता था कि भारत मे बर्मा से 3500 किलोमीटर दूर नरपिशाच रोहिंगया मुसलमानो को जम्मू में केंद्र सरकार/राज्य सरकार बसा सकती है पर एक मजबूर हिन्दू के लिए इस कथाकथित “हिन्दू राष्ट्र” में कोई स्थान नही। इस बच्चे के लिए कोई वकील कोई सामाजिक कार्यकर्ता आगे नही आएगा क्योकि सबको पैसे चाहिए जो इस बच्चे के पास नही। निशुल्क लड़ूँगा इस बच्चे के लिए इसे अधिकार दिलाऊंगा, सत्य परेशान है पर पराजित कदापि नही।