1984 के सिख विरोधी दंगों पर संवेदनहीन बयान को लेकर कांग्रेस फिर से घिरती नज़र आ रही है. पार्टी के बड़े नेता सैम पित्रोदा के बयान के बाद कांग्रेस जहां बचाव की मुद्रा में है तो भाजपा समेत अकाली दल ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को जमकर घेरा है. पीएम मोदी ने भी इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी के चरित्र पर सवाल खड़े किए हैं.
1984 के सिख दंगों पर कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार रहे सैम पित्रोदा के इस बयान से बवाल मच गया है. सैम पित्रोदा इस समय इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. पित्रोदा के बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये कांग्रेस की मानसिकता दर्शाती है.
सैम पित्रोदा के बयान के बाद से ही बीजेपी उन पर हमलावर है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी पित्रोदा के बयान को ट्वीट किया और कांग्रेस से सवाल किया.
पित्रोदा के इस बयान को लेकर दिल्ली की सड़कों पर लोगों का गुस्सा भड़क उठा, जहां एक ओर दंगों के पीड़ितों के परिजनों और शिरोमणि अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया, तो दूसरी ओर दिल्ली बीजेपी की सिख शाखा ने इस मुद्दे पर सैम पित्रोदा के खिलाफ रैली कर रोष जताया. सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के परिजनों ने इस बयान पर रोष जताया है.
वहीं कांग्रेस मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पार्टी की ओर से रुख साफ करते हुए ट्वीट किया कि समाज में दंगे और हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस किसी भी व्यक्ति और समूह की जाति, रंग, क्षेत्र और धर्म पर आधारित हिंसा की निंदा करती है.
कांग्रेस पार्टी ने इस पर वकील और कांग्रेस पार्टी के सदस्य केटीएस तुलसी के जरिए चुप्पी साधते हुए मीडिया पर चीजों को तोड़ने-मरोड़ने का आरोप लगाया. वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि गैर कांग्रेसी सरकारों पर भी इंसाफ दिलाने की उतनी ही जिम्मेदारी है.
1984 सिख विरोधी दंगे सिख समुदाय के लिए ऐसे नासूर की तरह जो न्याय के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में ये लगता है कि सैम पित्रोदा उनके दुख और पीड़ा को महसूस नहीं कर पा रहे हैं और अपनी पार्टी के लिए भी बेवक्त शर्मिंदगी का सबब बन रहे हैं.