प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर ‘मन की बात’ के प्रसारण में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के कई विषयों को उजागर किया। कार्यक्रम के 20वें संस्करण में प्रधानमंत्री ने पारदर्शी शासन और कैशलेस सौदों पर ज़ोर दिया। नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य और प्रसन्नता के लिए योग को दिनचर्या में शामिल करने पर बल दिया।
प्रधानमंत्री ने लोगों से बैंकिंग और पैसे के लेन-देन के अत्याधुनिक तरीकों को अपनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि पहले लोग वस्तु विनिमय के आधार पर लेन-देन करते थे। यानी कोई चीज लेने के बदले कोई चीज देनी पड़ती थी।
वक्त बदल चुका है, मुद्रा आने लगी, सिक्के आने लगे, नोट आने लगे। लेकिन अब वक्त बदल चुका है, पूरी दुनिया कैशलैश सोसायटी की तरफ़ आगे बढ़ रही है। नई तकनीक के द्वारा हम रुपए पा भी सकते हैं, रुपए दे भी सकते हैं। चीज़ खरीद भी सकते हैं, बिल चुकता भी कर सकते हैं। और इससे ज़ेब में से कभी बटुए की चोरी होने का तो सवाल ही नहीं उठेगा। हिसाब रखने की भी चिंता नहीं रहेगी, ऑटोमेटिक हिसाब रहेगा। शुरुआत थोड़ी कठिन लगेगी, लेकिन एकबार आदत लगेगी, तो ये व्यवस्था सरल हो जाएगी।
खेल और खिलाड़ियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ओलंपिक में शिरकत करने वाले खिलाड़ियों का हौसला बुलंद करने के लिए इन खिलाड़ियों के प्रति एक सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ये बात सही है कि खेल-कूद में हमारे सामने चुनौतियाँ बहुत हैं, लेकिन देश में एक माहौल बनना चाहिएI रियो ओलंपिक के लिए जाने वाले हमारे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का उनका हौसला बुलंद करने का। कोई गीत लिखे, कोई कार्टून बनाए,कोई शुभकामना सन्देश दे, कोई किसी खेल को प्रोत्साहित करे, लेकिन पूरे देश को हमारे इन खिलाड़ियों के प्रति एक बड़ा ही सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए।
परीक्षा परिणामों के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने विशेषकर लड़कियों के अच्छे प्रदर्शन की सराहना की साथ ही उन्होंने अपेक्षा अनुरूप अंक नहीं पाने वाले विद्यार्थियों से अपील की कि वे निराश न हों क्योंकि एक परीक्षा से जीवन समाप्त नहीं होता।
नरेन्द्र मोदी ने साफ-सफाई और स्वास्थ्य पर बोलते हुए कहा बीमारी जिन्दगी की पटरी को असंतुलित कर देती है। इसलिए बीमारी आए ही ना इसके लिए हमें स्वच्छता और योग को अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बीमार न होने का खर्चा बहुत कम होता है, लेकिन बीमार होने के बाद स्वस्थ होने का खर्चा बहुत ज्यादा होता है। हम ऐसी जिन्दगी क्यों न जिएं, ताकि बीमारी आए ही नहीं, परिवार पर आर्थिक बोझ हो ही नहीं स्वच्छता बीमारी से बचाने का सबसे बड़ा आधार है ग़रीब की सबसे बड़ी सेवा अगर कोई कर सकता है, तो स्वच्छता कर सकती है।
और दूसरा जिसके लिए मैं लगातार आग्रह करता हूँ, वो है योग।
21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस है। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वजों की हमें दी हुई एक अनमोल भेंट है, जो हमने विश्व को दी है। तनाव से ग्रस्त विश्व को संतुलित जीवन जीने की ताकत योग देता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों में सूखे और पानी की कमी के मुद्दे पर अपने विचार साझा प्रधानमंत्री देश में बढ़ती गर्मी और कई राज्यों में सूखे की स्थिति पर चिंता ज़ाहिर की। पीएम मोदी ने सूखे से स्थिति से निपटने के लिए जन भागीदारी का आह्वान करते हुए बताया कि सूखे से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा ने उत्तम प्रयास किए है।
उन्होंने जल संरक्षण पर ज़ोर देते हुए कहा कि सूखे की समस्या की लम्बी अवधि की परिस्थिति से निपटने के लिए स्थाई समाधान क्या हो, इस पर सभी को ध्यान देना चाहिए।
आधुनिक तरीके से जल संचयन पर ज़ोर देते हुए प्रधानमंत्री ने किसानों से माइक्रो इरीगेशन का उपयोग करने का आह्वान किया। साथ ही प्रधानमंत्री ने जनसमान्य से बूंद-बूंद जल बचाने के लिए ‘जल बचाओ अभियान’ चलाने की भी अपील की।
उन्होंने कहा कि खुशी की बात है कि कई राज्यों में हमारे गन्ने के किसान भी माइक्रो इरीगेशन का उपयोग कर रहे हैं, कोई ड्रिप इरीगेशन का उपयोग कर रहा है, कोई स्प्रिंकलर का कर रहा है। कुछ राज्यों ने धान के लिए भी सफलतापूर्वक ड्रिप इरीगेशन का प्रयोग किया है और उसके कारण उनकी पैदावार भी ज्यादा हुई, पानी भी बचा और मजदूरी भी कम हुई।
पानी के महत्व पर उन्होंने कहा कि मुँह पर थोड़ा सा भी पानी छिड़कते हैं, तो आप तरो-ताज़ा हो जाते हैं। हम कितने ही थक गए हों, लेकिन विशाल सरोवर देखें या सागर का पानी देखें, तो कैसी विराटता का अनुभव होता है। ये कैसा अनमोल खजाना है परमात्मा का दिया हुआ। जरा मन से उसके साथ जुड़ जाएँ, जल-संचय करें और जल सिंचन को भी आधुनिक बनाएं।
इस बात को मैं आज बड़े आग्रह से कह रहा हूँ कि ये मौसम जाने नहीं देना है। आने वाले चार महीने बूँद-बूँद पानी के लिए ‘जल बचाओ अभियान’ के रूप में परिवर्तित करना है और ये सिर्फ सरकारों का नहीं, राजनेताओं का नहीं, ये जन-सामान्य का काम है।
प्रधानमंत्री ने पर्यावरण बचाने की बात कहते हुए जंगलों में लगी आग का भी जिक्र किया।
मन की बात के पूर्व संस्करणों में प्रधानमंत्री ने अपने दिल के नजदीक तमाम विषयों पर लोगों से बात की है। इनमें जल संरक्षण, स्वच्छ भारत अभियान, खादी को प्रोत्साहन, कौशल विकास, दिव्यांग बच्चों को छात्रवृत्ति, शिक्षण संस्थाओं का बुनियादी ढांचा, नशीली दवाओं की समस्या और किसानों के मुद्दे शामिल रहे हैं।