हल्के स्वदेश निर्मित लड़ाकू विमान तेजस की पहली स्क्वाड्रन को आज भारतीय वायुसेना शामिल किया जाएगा। पहली स्क्वाड्रन दो साल के लिए बेंगलुरु में तैनात रहेगी, उसके बाद तमिलनाडु के सुलुर में स्थानांतरित कर दी जाएगी।
स्क्वाड्रन के पहले दस्ते को फ्लाइंग ड्रेगर्स 45 नाम दिया गया है। वायुसेना तेजस को पाकिस्तान और चीन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किए गए जेएफ-17 लड़ाकू विमान से बेहतर मानती है। तेजस की आदर्श फाइटर स्क्वाड्रन में कुल 16-17 जेट और एक या दो ट्रेनर्स शामिल होंगे।
तेजस मिग 21 और मिग 27 की जगह लेगा।वर्तमान में एयरफोर्स के पास इस सीरीज के सिर्फ 2 एयरक्राफ्ट हैं जो कमीशन के लिए बिल्कुल तैयार हैं ।
एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने बीते 17 मई को 30 मिनट तक तेजस का ट्रेनर वर्जन उड़ाया था । तेजस का डिजाइन एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा तैयार किया गया है जबकि निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया गया है।
वायुसेना की योजना अपने बेड़े में 120 तेजस विमान शामिल करने की है। इस साल के अंत तक 6 और तेजस विमान बेड़े में शामिल होंगे। साल 2018 तक तेजस विमानों की एक पूरी स्क्वॉड्रन गठित हो जाएगी, इसमें कुल 20 विमान होंगे।