दया शंकर सिंह ने मायावती पर जो टिप्पणी की वह पूरी तरह निंदनीय ही नहीं बल्कि समाज ओर मातृ शक्ति के सम्मान के लिए भी एक दुखद घटना है , इस अर जितना भी खेद प्रकट किया जाए कम है.., . किन्तु में उन लोगो से यह पूछना चाहता हूँ , जो इस टिप्पणी के विरोध में अपना मानशिक सन्तुलन इतना खो चुके है कि वो एक स्त्री के आपमान के विरोध में दूसरी स्त्री का अपमान कर रहे है , क्या वह इस विरोध के लायक है या दयाशंकर में सही किया कहकर् क्योंकि जिस प्रकार की प्रति क्रिया हो रही है उस से तो यही साबित हो रहा है , की एक ने दुसरे को नंगा कहा दुसरा तुरंत कपड़े निकाल कर नंगा हो लिया.., . मायवती जी क्या यही सम्मान चाहती है आप स्त्री समाज का जब आपको इतनी पीड़ा पहुंची है तो उस बहन , बेटी, पत्नी को कितनी पीड़ा हो रही होगी जिसको तुम्हारे बड़े से लेकर छोटे कार्यकर्ता तक पेश करने या फिर अभद्र से अभद्र गाली देकर सार्वजनिक मंचो से अपमानित कर रहे है .., . मायवती जी क्या आप मुझे #सचिन_गुर्जर को जवाब डेंगू ..? . वह बीजेपी का कार्यकर्ता था जिसको बीजेपी में तत्काल प्रभाव से पद मुक्त ही नहीं किया अपितु पार्टी से भी निकाल दिया.., . आपके एक सांसद ने 2013 में संसद में राष्ट्र गान का अपमान किया था जो मेरे पुरे राष्ट्र का अपमान था जो मेरे देश के नागरिकों की इज्जत से कहिं बढ़कर था क्या आपने उस पर कोई कार्यवाही की ..? . मैं सचिन गुर्जर आपसे पूछना चाहता हूँ, क्या आप माफ़ी मांगने के लिए तैयार है ..? . आपने नारा दिया था , तिलक – तराजू ओर तलवार इनको मारो जूत्ते चार .., . 2011 में भी इस से व्यथित था आज भी हूँ ओर आप तो मंच से भी यही नारा देकर अपना सम्बोधन शुरू करती थी.., . ओर आखिर में इतना ही कहूंगा कि राजनीती करो किन्तु कभी भी अपने स्वाभिमान को गिरवी रखकर मत करो ओर हमेशा व्यक्ति या विचाधारा का समान करो जिस से आपको सहयोग मिला हो .., . मेरे आज भी याद है कि 1995 में आपकी इज्जत लूटने या आपको मारने के लिए कुछ मुलायम समर्थको ने आपको होटल के बाथरूम तक पहुंचा दिया था अगर बीजेपी केआपके दुवारा तथाकथित गुंडों ने आपनी जान पर खेलकर आपकी जान बचाई थी ओर अगर वो जरा सा भी बिरादरी वाद या अन्य वाद विवाद पर सोचने भी लगते तो शायद बाथरूम का गेट टूट गया होता ओर फिर कहाँ तक क्या हो जाता यह आप भली – भांति जानती है.., . ओर इसी बीजेपी ने आपको सर पर बिठाया था जिस से आज आपको पहचान मिली.., . बस आप् से यही विनती है कि आप ओर आपके जो धुरंदर है वह विरोध जितना चाहे उतना करें बस नारी के सम्मान का ध्यान रखें ..,
सचिन गुर्जर जी मै आपसे सहमत हू ।