यदि सत्य का उद्घाटन भगवाकरण है तो भगवाकरण होना चाहिये | विश्व की तमाम समस्याओं के निराकरण के लिये भारतीय विचारों का प्रसार जरूरी है | ये शब्द संघ के पूजनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी ने ‘हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान’ समारोह को संबोधित करते हुए कहे | सम्मान समारोह में शिक्षाविद् एवं शिक्षा बचाओ आंदोलन के प्रणेता श्री दीनानाथ बत्रा जी को 26वें ‘डॉ हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान’ से नवाजा गया |
सरसंघचालक जी ने कहा कि दीनानाथ बत्रा जी भ्रमित लोगों के भ्रम दूर करने तथा कुटिल लोगों के षडयंत्रों का पर्दाफाश करने का प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं | कालांतर में सुनियोजित तरीके से लोगों के दिलो दिमाग से विचारों को मिटाने का प्रयास किया गया, हमारी प्रज्ञा नष्ट करने के लिये शिक्षा पद्धति को विकृत किया गया | स्वतंत्रता के बाद की राजनीतिक धारा आम जनमानस को जागृत करने में सहयोग नहीं कर पाई लेकिन भारत अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के कारण टिका रहा | उन्होंने कहा कि यद्यपि देश के हर नागरिक को जागृत करना संभव नहीं, लेकिन अनुकरणीय व्यक्तियों के आचरण को उन्नत कर समाज की स्थिति बेहतर की जा सकती है | भारत को उन्नत और सिरमौर बनाने के लिये डॉ हेडगेवार की प्रज्ञा का ही सहारा लेना पड़ेगा |
सम्मान प्राप्तकर्ता दीनानाथ बत्रा जी ने कहा कि शिक्षा प्रकाश के समान है जो मनुष्य के आंतरिक गुणों को प्रस्फुटित करता है | उन्होंने शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये भारतीय शिक्षा पद्धति में बदलाव पर जोर दिया | कुछ सुझाव भी दिये – जिसमें शिक्षा के लिये स्वायत्त आयोग का गठन, शिक्षा व्यवस्था का दायित्व प्रशासनिक अधिकारियों के बजाय शिक्षाविदों को सौंपना व भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता देना आदि शामिल है |
समारोह के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत को संज्ञा शून्य कर दिया | जिसके खतरनाक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. लोगों की जीवन शैली, रहन-सहन, खान-पान सब कुछ बदल रहा है, भारत के लोग अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने के बजाय आत्महीनता की स्थिति से गुजर रहे हैं |