दुनिया के सुदूर कोनों में फंसे भारतीयों को फुर्ती से मुसीबत से बाहर निकालने का मोदी सरकार ने एक और उदाहरण पेश किया है। दक्षिण सूडान में चल रहे अंदरूनी संकट में संघर्ष विराम का फायदा उठाते हुए भारत ने दो सैन्य परिवहन विमानों को विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह की निगरानी में रवाना किया।
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जब-जब विदेश में रहने वाले भारतीयों पर अंदरूनी परिस्थितियों के वजह से मुसीबत आई है, मोदी सरकार ने बगैर वक्त ज़ाया किए मदद पहुंचाई है। यमन में 5,000 से भी अधिक भारतीयों और विदेशी नागरिकों को फुर्ती दिखाते हुए ऑपरेशन राहत के तहत 2013 में मुसीबत से निकाला गया था। ठीक उसी तरह अब ऑपरेशन संकट मोचन को दक्षिण सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए चलाया गया।
विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह यमन गए थे और अब वे गुरुवार को दक्षिण सूडान की राजधानी जूबा भी पहुंचे। उनके साथ भारतीय वायुसेना के दो सी-17 परिवहन विमान भी हवाई अड्डे पर उतरे जिनके जरिए सैकड़ों भारतीयों को मुसीबत से निकाला गया।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर सभी को ऑपरेशन संकट मोचन के बारे में अवगत कराया था और दक्षिण सूडान में सभी भारतीयों को मंगलवार को घोषित हुए संघर्ष विराम का फायदा उठाते हुए देश छोड़ने को कहा था।
दक्षिण सूडान दुनिया का सबसे नया राष्ट्र है। 2011 दशकों तक अंदरूनी गृह युद्ध से ग्रसित रहने के बाद दक्षिण सूडान की जनता ने 2011 में उत्तरी सूडान से अलग होने का फ़ैसला किया। लेकिन संघर्ष ने जल्द ही वापसी की।
ताजा संकट 2013 में दक्षिण सूडान सरकार में फूट से पनपा। देश के सबसे बड़े समुदाय से आए राष्ट्रपति ने उपराष्ट्रपति को बर्खास्त कर दिया। उपराष्ट्रपति देश के दूसरे सबसे बड़े समुदाय के सदस्य हैं। इसे लेकर देश की सेना में भी विभाजन हो गया और गृह युद्ध की शुरुआत हो गई।
तब से अब तक कई बार संघर्ष विराम घोषित हो चुके हैं लेकिन किसी न किसी वजह से लड़ाई फिर शुरू हो जाती है। ताज़ा संघर्ष इसी हफ्ते शुरू हुआ। फिलहाल एक और संघर्ष विराम जारी है लेकिन स्थिति तनावपूर्ण ही है।
मामले की नजाकत को भांपते हुए भारत सरकार ने फंसे हुए नागरिकों को स्वदेश लाने में चुस्ती दिखाई है, और ये सरकार की विदेश नीति में पैनेपन का एक और उदाहरण है।