भारत की संस्कृतिक विरासत से चुराई गई दुर्लभ मूर्तियों को अमेरिका ने भारत को सौंपा । इनमे टेरेकोटा और कांस्य की वो धार्मिक मूर्तियां भी है जो करीब 2000 साल पुरानी है। इन सभी पुरातन मूर्तियों की कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में 100 मिलियन डॉलर बताई जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच देशों की यात्रा के चौथे पड़ाव पर अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन पहुंचे। एयरबेस पर भारतीय समुदाय के लोगों ने पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया।
वाशिंगटन पहुंचने के बाद अर्लिंग्टन राष्ट्रीय समाधिस्थल जाकर अज्ञात सैनिकों के स्मारक पर श्रद्धासुमंन अर्पित किए और वांशिंगटन में अमेरिकी थिंक टेंक के साथ मुलाकात भी की। इस मुलाकात में ऐसी हस्तियां शामिल थीं, जो अमेरिका की विदेश नीति में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी कोलंबिया अंतरिक्ष यान स्मारक भी गए और वहां उन्होंने कोलंबिया यान दुर्घटना में मारे गए लोगों की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इसी कड़ी में भारत की संस्कृतिक विरासत से चुराई गई दुर्लभ मूर्तियों को भी अमेरिका ने भारत को सौंपा। वाशिंगटन मे आयोजित एक समारोह में अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ये मूर्तियां सौंपी। इन सांस्कृतिक धरोहर में से कुछ राजस्थान के बारान जिले के अतरू के एक मंदिर से चुराई गई थी। ये मूर्तियां 7 वीं से 11वीं सदी के बीच यानि की प्रतिहार काल की मानी जा रही है।
इससे पहले, स्विट्जरलैंड दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति जोहान स्नाइडर अम्मान ने एक साझा प्रेस वार्ता को संबोधित किया। स्विट्जरलैंड ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह ‘एनएसजी’ में भारत की सदस्यता को अपना समर्थन दिया है। साथ ही अम्मान ने कालेधन और कर चोरी के मामलों में भी भारत के साथ खड़े होने की बात कही।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महत्वपूर्ण यूरोपीय देश के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को गहरा करने के मकसद से स्विस राष्ट्रपति जॉन श्नाइडर अम्मान के साथ मुलाकात की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्विट्जरलैंड दौरे पर व्यापार और कूटनीति दोनों ही एजेंडे में प्रमुख रहे। दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई बैठक में कालाधन और न्यूक्लीयर स्प्लायर ग्रुप में सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का मसला छाया रहा।
स्विट्जरलैंड ने एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए अपना समर्थन जताया तो वहीं कालेधन और कर चोरी से निपटने के लिए दोनों देशों ने साथ मिलकर काम करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई।
इन दोनों ही मसलों को भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा सकता है।
स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति जोहान स्नाइडर अम्मान ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ वार्ता के बाद कहा कि उनका देश एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन करता है।
भारत पिछले कुछ सालों से एनएसजी की सदस्यता के लिए जोर लगा रहा है और इस साल 12 मई को उसने इसके लिए औपचारिक आवेदन भी दिया है। भारत के इस आवेदन पर 9 जून को विएना और 24 जून को सिओल में प्लेनरी मीटिंग्स में विचार किया जाएगा।
दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान भी कई महत्वपूर्ण मसलों पर चर्चा हुई। भारत की जरूरतों को ध्यान में रखकर एक स्विस वोकेशनल ऐंड एजुकेशनल प्रशिक्षण प्रणाली की शुरुआत पर सहमति बनी।
भारत में स्विस पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पहले ही उनके लिए ई-टूरिस्ट वीजा की शुरुआत कर दी है।
पीएम ने जिनेवा में करोबारी दिग्गजों के साथ गोलमेज वार्ता भी की। इस बैठक के दौरान एबीबी, लाफार्ज, नोवार्तिस, नेस्ले समेत कई बड़ी स्विस कंपनियों के सीईओ मौजूद थे।
इस बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत केवल 1.25 बिलियन का बाजार ही नहीं है। उन्होंने कहा की भारत में कौशल है और यहां कि सरकार व्यापार के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करने को तत्पर है।
प्रधानमंत्री ने कौशल विकास के स्विस मॉडल को महत्वपूर्ण बताते हुए इसे भारत को भी अपनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि वह भारत में दो या तीन स्विट्जरलैंड बनाना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संबंधों की चर्चा करते हुए टेनिस में मार्टिना हिंगिस की सानिया मिर्जा और लिएंडर पेस के साथ साझेदारी का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने जिनेवा में यूरोपीयन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लीयर रिसर्च के वैज्ञानिकों और भारतीय छात्रों से भी मुलाकात की।