निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज को आज उनके लाखों श्रद्धालु भक्तों ने श्रद्धा और भक्तिपूर्ण अंतिम विदाई दी। आज उनके नश्वर शरीर का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर सी.एन.जी. शवदाह गृह में किया गया। पूज्य माता सविंदर जी, जिनको गत् रात्रि सन्त निरंकारी मिशन के सद्गुरु रूप में घोषित किया गया तथा परिवार के अन्य सदस्य व रिशतेदार भी वहीं उपस्थित थे।
संत निरंकारी मंडल चंडीगढ ब्रांच के संयोजक श्री मोहिन्द्र सिंह जी ने बताया कि अंतिम यात्रा ग्राउंड नं. 8 से प्रात: 9.00 बजे प्रारम्भ हुई। बाबा जी के नश्वर शरीर को फूलों से सुसज्जित एक खुले वाहन पर रखा गया। इस यात्रा की अगवानी सफेद वस्त्र पहने मिशन के प्रचारक व प्रबंधक महात्मा और वर्दी पहने सेवादल के सदस्यों ने की। सद्गुरु माता जी भी पालकी के पीछे अपनी गाड़ी में चल रहे थे। उनके पीछे बाबा जी के दामाद अवनीत सेतिया जी के पार्थिव शरीर को खुली पालकी पर रखा गया था। बाबा जी की सुपुत्री सुदीक्षा जी और सेतिया परिवार के अन्य सदस्य इसी पालकी में उनके साथ बैठे थे। दोनों पालकियों के पीछे देश-विदेश से अंतिम संस्कार में शामिल होने आए भक्तों का कारवाँ चल रहा था। यात्रा जहाँ से गुजर रही थी, उस मार्ग के दोनों तरफ भी विशाल संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे।
बाबा हरदेव सिंह जी के नश्वर शरीर को अंतिम दर्शन के लिए 16 मई, 2016 से आज प्रात: 4.00 बजे तक ग्राउंड नं.8 में रखा गया, जहाँ देश-विदेश से लगभग पाँच लाख श्रद्धालु भक्तों ने अंतिम दर्शन किये। अवनीत जी के पार्थिव शरीर को भी वहीं रखा गया था।
गत् देर रात्रि, ग्राउंड नं. 8 में, बाबा हरदेव सिंह जी की धर्मपत्नी पूज्य माता सविन्दर जी को सन्त निरंकारी मिशन का सद्गुरु घोषित किया गया। मिशन के हज़ारों श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति में इसकी घोषणा श्री एच.एस. उपाशक (यू.के.) ने की। सन्त निरंकारी मण्डल के प्रधान, श्री जे.आर.डी. ’सत्यार्थी’ जी ने पूज्य माता जी को सद्गुरु की आध्यात्मिक शक्तियों का प्रतीक, सफेद दुपटट पहनाया और बहन निरंजन जी ने पुष्प माला पहनाकर स्वागत किया।
ग्राउंड में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों ने पूज्य माता जी का सद्गुरु रूप में अभिनंदन किया। सद्गुरु माता जी ने कहा, ’’ बाबा जी प्रेम का साक्षात् रूप थे। वो सब की गलतियां भी प्यार से माफ करके टाल देते थे। कुछ भी हो वो सिर्फ प्यार ही प्यार देते थे। हम सब भी बाबा जी को इसलिए बहुत प्यार करते हैं। और बाबा जी ये भी चाहते थे कि हमारा आपसी प्यार बहुत ज़्यादा हो। और आज हम सब मिलकर ये प्रतिज्ञा लें कि जैसे बाबा जी चाहते थे हम सब मिल जुलकर सबके साथ प्यार से आगे बढ़ें और इस मिशन को और आगे पहुंचाएं।’’