कुरुक्षेत्र, 6 नवंबर 2015: हैरतअंगेज करतब दिखाते व हवा से बाते करते घुड़सवार, अभिनन्दन पट्टिका का लक्ष्य-भेदन कर मुख्य अतिथि का अभिवादन करते अचूक निशानेबाज, शरीर में गजब की लचक के साथ योगासन करते व मल्लखम्भ से चिपके हुए ब्रह्मचारियों ने सभी दर्शकों को मंत्र-मुग्ध कर दिया। यह नज़ारा गुरुकुल कुरुक्षेत्र के 103वें तीन दिवसीय वार्षिक महोत्सव के आगाज़ पर देखने को मिला।
गुरुकुल कुरुक्षेत्र के 103वें वार्षिक महोत्सव का शुभारम्भ शुक्रवार को मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कुरुक्षेत्र के पुलिस अधीक्षक सिमरदीप सिंह वेद मंत्रोच्चारण के साथ ध्वजारोहण व दीप प्रज्ज्वलित करके किया। उन्होंने कहा कि गुरुकुलीय शिक्षा हमारी संस्कृति की अमूल्य निधि है। इससे विद्यार्थियों का चारित्रिक विकास संभव है। गुरुकुल के विद्यार्थियों में धैर्य, संयम, अनुशासन, साहस, दया, सहयोग, परोपकार, कर्तव्यनिष्ठा व देश-भक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई है, जो अन्य विद्यालयों के विद्यार्थियों में दृष्टिगोचर नहीं होती। आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र जैसी आदर्श मूल्यपरक शिक्षा देने वाली शैक्षिक संस्थाओं की आवश्यकता है, जो विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास कर सके। गुरुकुल शिक्षा विद्यार्थी में सीखने की जिज्ञासा, ग्रहण करने की ललक व समझने की उमंग पैदा कर उन्हें सुसंस्कारित बनाती है। कठोर अनुशासन, कड़ी मेहनत, एवं बहु-आयामी उपलब्धियों के बल पर ही यह गुरुकुल अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। गुरुकुल प्रबंध समिति के प्रधान कुलवंत सिंह सैनी व हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल डॉ. देवव्रत आचार्य की उच्च स्तरीय सोच, श्रेष्ठ विचार, अथक परिश्रम, सतत प्रयास एवं बुद्धिमतापूर्ण निर्देशन और कुशलतापूर्वक किए गए कार्यों का ही प्रतिफल है कि आज यह गुरुकुल अन्य विद्यालयों के समक्ष एक उदाहरण है। यह गुरुकुल संस्कारित शिक्षा प्रदान कर असंख्य घरों में ज्ञान-ज्योति की प्रभा को बिखेरकर अपनी सार्थकता को प्रमाणित कर रहा है। उन्होनें कहा कि राष्ट्र की शैक्षिक प्रगति में कदम बढ़ाते हुए इस गुरुकुल ने आज 103 वर्षों की लम्बी ऐतिहासिक यात्रा पूर्ण कर शिक्षा के विकास को नव-आयाम प्रदान किए हैं। उन्होनें गुरुकुल के विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शित विज्ञान व वाणिज्य प्रदर्शनी का उद्घाटन व अवलोकन कर उनकी व्यावसायिक प्रतिभा व वैज्ञानिक सोच की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस प्रदर्शनी में छात्रों ने विज्ञान के अनेक बहुआयामी पहलुओं व रहस्यों को सुन्दर ढंग से प्रदर्शित किया है। यह प्रदर्शनी 8 नवंबर तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी ताकि वे विज्ञान के रहस्यों को सुगमता से समझ सके।
गुरुकुल कुरुक्षेत्र के अश्वारोही व घोष वादक ‘सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दुस्तां हमारा’ की सुमधुर ध्वनि से मुख्य अतिथि की अगुवाई करते हुए मंच तक लेकर आए।
गुरुकुल प्रबंध समिति के प्रधान कुलवंत सिंह सैनी ने मुख्य अतिथि के समक्ष गुरुकुल की शैक्षिक उपलब्धियों व गतिविधियों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि जैविक-कृषि, गो पालन, चिकित्सा व समाज सेवा के क्षेत्र में भी अग्रणी है। गुरुकुल के ब्रह्मचारी शिक्षा, क्रीड़ा व अन्य क्षेत्रों में आज राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाकर जिला, राज्य व देश का नाम रोशन कर रहे हैं। गुरुकुल प्रबंधकर्त्री समिति के प्रधान कुलवंत सिंह सैनी ने मुख्य अतिथि को गुरुकुल की ओर से स्मृति-चिह्न व उपहार प्रदान कर सम्मानित किया।
गुरुकुल के घुड़सवारों ने अचूक लक्ष्य-भेदन तथा बाधाओं को पार करते हुए सभी दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया। योग साधकों ने मुख्य अतिथि के समक्ष मनोहारी योगासनों, जिम्नास्टिक, एक्रोबेटिक व लकड़ी मल्लखम्भ पर चित्ताकर्षक योग मुद्राएँ प्रस्तुत कर सभी दर्शकों को दाँतों तले अंगुली दबाने पर विवश कर दिया। इस अवसर पर गुरुकुल प्रबंधकर्त्री समिति के प्रधान कुलवंत सिंह सैनी, उप प्रधान राजिन्द्र सिंह कलेर, सह प्राचार्य शमशेर सिंह, प्रेस प्रवक्ता डॉ. श्यामलाल शर्मा सहित अध्यापकवृन्द व भारी संख्या में वार्षिक महोत्सव में पहुंचे अभिभावकगण उपस्थित थे।