पुणे – पत्रकारिता किसी जमाने में मिशन था। लेकिन अब इसने व्यावसायिकता का भी चरण पार कर लिया है। आज पत्रकारिता में अहंकार आ चुका है और पत्रकारों को अधिक विनम्र होने की जरूरत है। पत्रकारिता तभी सफल हो सकती है जब इसमें संवेदनशीलता हो, यह प्रतिपादन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और वरिष्ठ विचारक राम माधव यांनी यहां किया।
कश्मीर का संदर्भ देकर श्री. राम माधव ने कहा, कि हमें कश्मीर की केवल भूमि ही नहीं बल्कि वहां के लोगों को भी अपना मानना होगा। कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है और इसमें चर्चा की कोई गुंजाईश नहीं है। वहां के लोगों को अपने हक मांगने का पूरा अधिकार है लेकिन वह संविधान के दायरे में रहकर ही करना होगा। वहां कुछ लोग पाकिस्तानपरस्त है लेकिन उनकी संख्या गिनीचुनी है। वहां की राष्ट्रवादी ताकतों को हमें शक्ती देनी होगी और इसके लिए कश्मीर के लोगों के दिल जीतने होंगे
विश्व संवाद केंद्र, पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत की ओर से दिए जानेवाले देवर्षी नारद पत्रकारिता पुरस्कारों का वितरण श्री. राम माधव के हाथों हुआ। इस अवसर पर वे बोल रहे थे। इस अवसर पर दिलीप धारूरकर को वरिष्ठ पत्रकार पुरस्कार, मुस्तफा अतार को युवा पत्रकार पुरस्कार, गणेश कोरे को छायाकार पुरस्कार और इस वर्ष का प्रथम सोशल मीडिया पुरस्कार शेफाली वैद्य को प्रदान किया गया।
वरिष्ठ पत्रकार पुरस्कार में पंदरह हजार रुपये, मानचिन्ह, शाल और श्रीफल समाविष्ट है तथा अन्य पुरस्कारों में साढ़े सात हजार रुपये नकद, मानचिन्ह, शाल और श्रीफल समाविष्ट है।
विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष श्री. मनोहर कुलकर्णी, डेक्कन एज्युकेशन सोसायटी की परिषद एवं अध्यक्ष मंडल के अध्यक्ष डॉ. अजित पटवर्धन, फर्ग्युसन महाविद्यालय के प्राचार्य रविंद्रसिंह परदेशी इस अवसर पर मंच पर उपस्थित थे। साथ ही श्रोताओं में पत्रकारोंसहित गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री. राम माधव ने कहा, “पत्रकार को चाहिए, की हर एक पुरस्कार को एक जिम्मेदारी समझें। वैज्ञानिक बीस वर्षों में एक बार न्यूक्लिअर बम बनाते है, लेकिन पत्रकार हर दिन एक बम बनाते है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता एक मिशन था। उस दौरान हर एक बड़े नेता ने आंदोलन के साधन के रुप में पत्रकारिता का प्रयोग किया। लेकिन पत्रकारिता आज एक उद्योग बन चुका है। इसे उस समय के मिशन को फिर से बनाना होगा।”
पत्रकारिता में आए नए मोड़ के बारे में उन्होंने कहा, कि आज की पत्रकारिता व्यावसायिकता से भी अधिक आंदोलक पत्रकारिता बनी है। “पत्रकारिता में अहंकार आया है। इसलिए आज लोगों को विनम्रता चाहिए। मुख्य धारा के मीडिया से अधिक सोशल मीडिया की जिम्मेदारी अधिक है। अभिव्यक्ती की स्वतंत्रता महत्त्वपूर्ण है, लेकिन जीवन का अधिकार सर्वोच्च है। आज सच्चे अर्थों में मीडिया का लोकतंत्रकरण हुआ है और यह देश के लिए अच्छा ही है।” मीडिया नम्र होकर देश के विकास में योगदान दे तो ठीक है अन्यथा विकास के विरोध में जाने पर जनता उसे नहीं स्वीकारेगी, यह चेतावनी भी उन्होंने दी।
समाज की खोती हुई संवेदशीलता के विषय में उन्होंने कहा, “देश में एक भी व्यक्ती नहीं मरना चाहिए। महिला की इस समाज में क्या स्थिति है? क्या कोई महिला सफल राजनेता बन सकती है? साथ ही दलितों की स्थिति भी दयनीय है। इन सवालों के उत्तर हमें खोजने होंगे।”
देवर्षी नारद वरिष्ठ पत्रकार पुरस्कार दिलीप धारूरकर को प्रदान किया गया। पुरस्कार को उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, “यह मेरी जीवननिष्ठा को मिला हुआ पुरस्कार है। मैं इस क्षेत्र में आया उस समय वैचारिक आंतकवाद था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विचार रखना बिलकुल असंभव था। वह आंतकवाद आज भी है और वह बड़े पैमाने पर महसूस होता है। मीडिया को अब राष्ट्रीय जागरण की ओर आना होगा।”
युवा पत्रकार पुरस्कार मुस्तफा अतार को प्रदान किया गया। सत्कार के उत्तर में उन्होंने कहा, “यह पुणे के लोगों से हुआ सत्कार है, इस कारण इस पुरस्कार से मुझे बहुत खुशी हुई है। तेरह वर्षों के कार्यकाल में पुणे के लोगं के स्वास्थ्य की चिंता करने का मैंने लगातार प्रयास किया। इस बात का मुझे गर्व है। लोगों के चेहरों पर दिखनेवाली संतुष्टी ही मेरे काम की प्रेरणा है। मैं आगे भी यही काम करता रहूंगा।”
प्रथम सोशल मीडिया पत्रकारिता पुरस्कार प्राप्त करनेवाली शेफाली वैद्य ने कहा, “इंटरनेट पर लिखना मैंने सन् २०१३ से शुरू किया। तब कल्पना भी नहीं थी, कि मेरा लेखन इतना लोकप्रिय होगा। आज लगभग ८ लाख लोगों तक मेरा लेखन जाता है। इस लेखन ने मुझे कई मान-सम्मान दिलाए। मेरे परिवार और पाठकों को यह पुरस्कार समर्पित आहे. मुख्य धारा के मीडिया द्वारा लोकप्रिय असत्य बेचने का प्रयास इस समय जारी है। इसके जवाब में एक सच्चे नागरिक की आवाज के रूप में मैंने लिखना शुरू किया।”
अपनी प्रस्तावना में श्री. कुलकर्णी ने कहा, “आज का युग नए मीडिया का युग है। इसलिए इस वर्ष से हम सोशल मीडिया पुरस्कार देना शुरू किया है। विश्व संवाद केन्द्र का मुख्य काम मीडिया से संवाद करना है। प्रबोधन, प्रकाशन और प्रशिक्षण यह विश्व संवाद केंद्र के कार्य की त्रिसूत्री है।”
डॉ. अजित पटवर्धन ने कहा, “डेक्कन एज्युकेशन सोसायटी के पांच संस्थापकों में से तीन ख्यातनाम पत्रकार थे। इसलिए आरंभ से लेकर संस्था का पत्रकारिता से संबंध रहा है। स्कूल और कालेज के बाद युवाओं पर सर्वाधिक प्रभाव ळा आणि मीडिया का होता है। इसलिए इस आयोजन से जुडने से हमें खुशी होती है।”
दिपा भंडारे ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया जबकि रवींद्रसिंह परदेशी ने आभार प्रदर्शन किया।