यूपीए के समय इस सौदे की शुरूआत हुई जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद डील रद्द कर दी गयी, लेकिन इटली की अदालत में रिश्वतखोरी के आरोप सिद्द हो गये हैं और तमाम कांग्रेसी नेताओं के नाम भी उस फ़ैसले में शामिल है।
अगूस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर का ये मामला देश की सियासत को गरमा रहा है लेकिन ये जानना जरुरी है कि ये मामला छह साल पुराना है।
ये सौदा यूपीए-1 सरकार के वक्त हुआ था और अगूस्ता वेस्टलैंड से वीवीआईपी के लिए 12 हेलिकॉप्टरों की खरीद की डील हुई थी।
यह डील 3,600 करोड़ रुपए की थी। इसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इसके बाद यूपीए सरकार ने डील रद्द कर दी थी।
इटली की अदालत ने इस मामले में अगूस्ता वेस्टलैंड कंपनी के प्रमुख ओर्सी को भारत में घूस देने का दोषी मानते हुए साढ़े चार साल की सजा सुनाई है।
अदालत ने ये भी माना है कि भारतीय वायुसेना के पूर्व चीफ एस पी त्यागी भी भ्रष्टाचार में शामिल थे।
भारत में इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है और एसपी त्यागी समेत 13 लोगों पर केस दर्ज किया जा चुका है।
ये मामला इटली की अदालत के फैसले की कॉपी सामने आने के बाद से दोबारा चर्चा में आय़ा है।
कोर्ट के आदेश में कथित रूप से कहा गया है कि 12 चॉपरों के लिए अगूस्ता वेस्टलैंड के साथ साल 2010 में हुए सौदे में रिश्वत दी गयी।
कुछ ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं जिनमें सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम है, लेकिन उनमें किसी अनियमितता के सुबूत नहीं है।
इनमें से एक दस्तावेज मार्च 2008 में इस सौदे के मुख्य बिचौलिये क्रिसचन मिचेल द्वारा भारत में अगस्ता वेस्टलैंड के प्रमुख पीटर हुलेट को लिखी चिट्ठी है, जिसमें ‘सिन्योरा गांधी’ को ‘वीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में मुख्य कारक’ बताया गया है। इटैलियन भाषा में सिन्योरा का मतलब श्रीमती होता है।
वहीं साल 2013 में अगूस्ता वेस्टलैंड के अधिकारी गुसिप ओर्सी की लिखी चिट्ठी में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जिक्र है, जिसमें कहा गया है कि इतालवी प्रधानमंत्री या किसी वरिष्ठ राजनयिक को उन्हें फोन करना चाहिए।
ओर्सी इस वक्त भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद है। मीडिया में आए दस्तावेजों के मुताबिक सौदे में दी गयी रिश्वत के बारे में कोड में जानकारी दी गयी है।
मीडिया में कोड का जो अर्थ निकाला जा रहा है उसके मुताबिक ब्यूरोक्रेटस, एयरफोर्स अधिकारियों और नेताओं को रिश्वत दी गयी।
यही नहीं ये भी आरोप है कि यूपीए सरकार ने मामले की जांच कर रही इटली की कोर्ट के साथ महत्वपूर्ण दस्तावेज साझा नहीं किया।
फिलहाल ये मामला सीबीआई के पास है और उसकी जांच के बाद ही सच सामने आ सकेगा।