मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिशविद् : नव वर्श के आरंभ , फिर नव संवत के आगमन और चंद्र व सूर्य ग्रहणों के अवसर पर हमने भूकंप, बे मौसम बरसात, प्राकृतिक आपदा आदि पर ज्योतिशीय पक्ष का विवेचन करते हुए इन बिंदंओं की आषंका जताई थी।
भूकंप का मुख्य कारण ग्रहण
ज्योतिश के नियमानुसार जब भी ग्रहण लगते हैं, उसके 41 दिनों के भीतर पृथ्वी एवं अन्य ग्रहों के मध्य गुरुत्वाकर्शण तथा असंतुलन बढ़ जाने के कारण धरती पर प्राकृतिक आपदाओं की आषंका रहती है। इस वर्श 20 मार्च को सूर्य ग्रहण तथा 4 अप्रैल को चंद्र ग्रहण लग चुके हैं। पहले ग्रहण 20 मार्च से लेकर 25 अप्रैल के मध्य अभी मात्र 35 दिन ही बीते हैं और बड़ी तीव्रता वाले भूकंप 41 दिन की समय सीमा समाप्त होने से पूर्व ही आ गए। मुख्य रुप से मंगल एवं षनि यदि 180 अंष पर हों या उनकी युति हो या षनि या मंगल अपनी षत्रु राषि में आ जाएं तो भूकंप की आषंका या दुर्योग बन जाते हैं। नए संयोग में षनि अश्टम भाव में होने के कारण धरातल तथा आकाष दोनों से ही संबंधित होंगे । 25 अप्रैल को 11 बजकर 40 मिनट पर षनि को छोड़कर सभी ग्रह अपनी ठीक स्थिति में हैं। षनि मंगल की आठवीं राषि बृष्चिक में वक्री हैं। एक और ज्योतिशीय नियम के अनुसार जब भी आकाष में कोई भी बड़ा या मुख्य ग्रह वक्री या मार्गी होता है तो भी भूकंप की आषंका रहती है। षनि महाराज 14 मार्च अर्थात चंद्रग्रहण से 6 दिन पहले ही वक्री हो गए थे। इन दोनें योगें के भीतर 41 वें दि नही भूकंप आरंभ हो गया। अभी 13 सितंबर को सूर्य ग्रहण तथा 28 सितंबर को चंद्रग्रहण लगने बकाया हैं।
क्या कहता है 8 का अंक और इसका ग्रह षनि?
सर्वप्रथम हम अंकों के आधार पर देष का भविश्य फल आंकेंगे। यदि हम 15-8- 1947 के अंकों का योग करें तो 8 आता है। और इस साल के गणतंत्र दिवस की तिथि 26-1-2015 को जोड़ा जाए तो भी अंक 8 ही आता है। साल 2015 का योग भी 8 ही है। इसके अलावा यदि वर्तमान प्रधान मंत्री की जन्म तिथि देखें तो 17 सितंबर का मूलांक भी 8 ही आता है। उनकी अपनी कुंडली में लग्न का अंक भी 8 ही है।अंक षास्त्र में अंक 8 षनि ग्रह का परिचायक है। आजकल षनि 8 नंबर की राषि बृष्चिक में ही गोचरवष विद्यमान हैं। नए साल में महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि 21 मार्च को आरंभ होने वाले कीलक नामक संवत 2072 का राजा और मंत्री दोनों ही षनि हैं। इसके अलावा नए संवत का पहला दिन भी षनिवार ही होगा। षनि ग्रह 2015 में भारत के लिए एक निर्णायक तथा मुख्य ग्रह होंगे जो देष के भविश्य में मुख्य भूमिका निभाएंगे।
षनि का संबंध देष के नेतृत्व, राजनीति, सत्ता परिवर्तन, लोहा, केमीकल, चिकित्सा, दवाई, विवाद, बीमारी, मजदूर, रियल एस्टेट, कोयला,, जमीन , जायदाद, कृशि, आकाष , स्पेस आदि से होता है। नए संयोग में षनि अश्टम भाव में होने के कारण धरातल तथा आकाष दोनों से ही संबंधित होंगे । षनि ,मंगल की राषि में आकर आतंकवाद की घटनाओं तथा जमीन के नीचे की उथल पुथल में वृद्धि करता है ।
जैसे किसी व्यक्ति का भविश्य उसकी जन्म तिथि से आंका जाता है, ठीक उसी प्रकार किसी भी देष का भविश्य उसकी स्वतंत्रता प्राप्ति की तिथि और उसके संविधान लागू होने के समय के दृश्टिगत ही आंका जाता है। भारत का भविश्यफल भी ज्योतिशीय आधार पर 15 अगस्त 1947 , रात्रि 23 बजकर 59 मिनट और गणतंत्र दिवस 26 जनवरी,1950, 10.19 बजे नई दिल्ली के अनुसार ही देखा जाता है। इसके अलावा अंगे्रजी के नए साल और विक्रमी संवत के आरंभ पर देष का भविश्य आंका जाता है।
संवत 2072?
21 मार्च , 8 चैत्र, षनिवार को कीलक नामक नया विक्रमी संवत 2072 आरंभ हुआ जिसमें राजा षनि और मंत्री मंगल हैं। जब भी संवत में राजा षनि होता है तो बेमौसम बरसात व बाढ़ अवष्य होती है और मौसम का मिजाज अप्रत्याषित तथा अकल्पनीय होता है जैसा कि इसका प्रभाव पहली मार्च से ही दिखना आरंभ हो गया और मार्च के वर्श के कई साल पुराने रिकार्ड टूट गए। षनि के कारण नए रोग व अजीबो गरीब बीमारियां उत्पन्न होने की आषंका रहती है। इस साल स्वाईन फलू का दबदबा रहा। अप्रत्याषित रुप से वर्शा हुई ।अपै्रल में बर्फ देखी गई। बद्रीनाथ केदारनाथ जैसे तीर्थाें पर कपाट खुलने पर बहुत सालों बाद बर्फ अप्रैल में नजर आई।
यह कुयोग सुनामी जेैसी हालत तथा अन्य तरह की प्राकृतिक आपदा अभी और ला सकता है अतः हमें और आपदा प्रबंधन से जुड़े लोगों को सतर्क रहना होगा।
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