संसद ने बिल्डरों पर लगाम कसने के लिए रियल एस्टेट बिल पास कर दिया है। बिल्डरों पर नजर रखने के लिए एक अथॉरिटी होगी। बिल से रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी। लोकसभा ने मंगलवार को चर्चा के बाद बिल को पास कर दिया। यह बिल गुरुवार को राज्यसभा में पास हुआ था।
बिल्डरों की मनमानी से परेशान लोगों के लिए राहत लेकर आने वाले रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट बिल को संसद की मंजूरी मिल गई है। लोकसभा ने मंगलवार को चर्चा के बाद बिल को पास कर दिया जबकि राज्यसभा पहले ही बिल को पास कर चुकी है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वैंकेया नायडू ने कहा कि बिल के पास होने के बाद अब घर खरीदने बालों को बिल्डरों की मनमानी का शिकार नहीं होना पड़ेगा।
नए क़ानून के तहत सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं और एजेंटों का पंजीकरण अनिर्वाय होगा। पारदर्शिता और परियोजनाओं को समय पर पूरा करना भी नए कानून में शामिल है। हर राज्य में रियल एस्टेट रेग्युलेटर नियुक्त किए जाएंगे जो सभी प्रोजेक्ट की निगरानी करेंगे और मकान खरीदार उनसे सीधे शिकायत कर सकते हैं और इसकी सुनवाई रेग्युलेटर द्वारा की जाएगी।
चर्चा के दौरान ज्यादातर दलों ने माना कि बिल से रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी।
नया कानून बनने से प्रोजेक्ट लॉन्च होते ही बिल्डर्स को प्रोजेक्ट से संबंधित पूरी जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी। इसमें प्रोजेक्ट के अप्रूवल्स के बारे में भी बताना होगा। साथ ही, प्रोजेक्ट के बारे में रोजाना अपडेट करना होगा।
खरीदार से वसूले गए पैसे को 15 दिनों के भीतर बैंक में जमा करना होगा। इस पैसे को एस्क्रो अमाउंट के रूप में रखा जाना है, जो निर्माण लागत की 70 फीसदी राशि होगी और इसका उपयोग सिर्फ उसी प्रोजेक्ट के लिए होगा। शेष 30 फीसदी राशि का इस्तेमाल बिल्डर्स कहीं और कर सकता है।
कब्जा देने में देरी होने या कंस्ट्रक्शन में दोषी पाए जाने पर बिल्डर को ब्याज और जुर्माना देना होगा। अगर, कोई बिल्डर ग्राहक के साथ धोखाधड़ी का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की सजा मिलेगी। वहीं, प्रॉपर्टी डीलर या ग्राहक को दोषी पाए जाने पर उसे एक साल की सजा होगी।
अब प्रोजेक्ट एरिया 1,000 वर्ग मीटर से कम कर 500 वर्ग मीटर कर दिया गया है। यानी, आठ फ्लैट का प्रोजेक्ट भी इस कानून के दायरे में आएगा। इस तरह छोटे डेवपलर भी रेग्युलेटर की निगरानी में रहेंगे।
आवासीय और व्यवसायी दोनों तरह के प्रोजेक्ट इसके दायरे में आएंगे। नए कानून के अनुसार, डेवलपर और ग्राहक के हितों की रक्षा के लिए जमीन का बीमा करना होगा।
प्रोजेक्ट का स्ट्रक्चर बदलने के लिए डेवलपर को 66 फीसदी खरीददारों की सहमति लेनी होगी। यानी, जब तक कुल खरीददारों में से दो-तिहाई खरीददार स्ट्रक्चर बदलने की अनुमति नहीं नहीं देंगे, तब तक उसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
ज़ाहिर है कि इस रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट बिल के कानून का रूप लेने के बाद बिल्डर या प्रॉपर्टी ब्रोकर ग्राहकों के साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी नहीं कर पाएंगे। इस बिल के आने से ग्राहकों के पैसे महफूज रहेंगे और उनके अधिकारों का हनन बिल्डर नहीं कर पाएंगे।