गीता के माध्यम से विश्व में शांति और एकता स्थापित की जा सकती है। गीता में सभी समस्याओं का समाधान है। यह बात माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने आज सिंहस्थ में चल रहे पाँच दिवसीय गीता महोत्सव में कही। इस अवसर पर केन्द्रीय सिंहस्थ मेला समिति अध्यक्ष श्री माखनसिंह चौहान और श्री उत्तम स्वामी, श्री रावतपुरा सरकार उपस्थित थे।
श्री कुठियाला ने कहा कि गीता अदभुत ग्रंथ है। गीता के उपदेशों के माध्यम से शांति और एकता स्थापित की जा सकती है। कुछ लोगों द्वारा भारतीय ज्ञान और परंपरा की भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है। इससे मानवता को नुकसान हो रहा है। ऐसे लोगों के विरूद्ध बौद्धिक युद्ध की जरूरत है, ताकि वे भारतीय परंपरा के वास्तविक रूप से परिचित हो सके। गीता में परंपरा और ज्ञान का पूरा भंडार है। भारत में विश्व-बंधुत्व कायम करने की क्षमता है।
श्री हनीफ शास्त्री ने कहा कि भागवत गीता मानवीय मूल्यों की संरक्षक है। विश्व में जितने भी धर्म-ग्रंथ है, उनमें भागवत गीता सबकी अवलंबिका है। गीता की रचना लगभग पाँच हजार साल पहले हुई है। उन्होंने कहा कि गीता जैसा महान धार्मिक ग्रंथ अब तक प्रत्येक मानव तक क्यों नहीं पहुँचा, इस पर चिंतन की आवश्यकता है।
भोपाल नगर निगम की पूर्व महापौर श्रीमती कृष्णा गौर ने कहा कि जिस तरह गंगा मनुष्य को पवित्र करती है, उसी तरह गीता भी मानवता को पवित्र करती है। गीता में विश्व-एकता के सूत्र है, गीता पूरे विश्व में सार्वभौमिक एवं सार्वलौकिक ग्रंथ है। गीता में पूरे विश्व को एक माला में पिरोने की शक्ति है। उन्होंने गीता के गुणों को आत्मसात करने की जरूरत बताई।
स्वामी श्री ज्ञानानंद ने कहा कि गीता अमृत समान है। आधुनिक भौतिकवाद में शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं का ह्रास हुआ है और मनुष्य सिमटता चला जा रहा है। गीता में सभी समस्याओं का समाधान है। श्री महेशचन्द्र शर्मा ने भी सम्बोधित किया। नर्मदे हर सेवा न्यास, अमरकंटक के अध्यक्ष श्री भगवतशरण माथुर ने अतिथियों का स्वागत किया तथा न्यास की गतिविधियों की जानकारी दी।