नीरज पंत, शोध छात्र, पंजाब विश्विद्यालय, चंडीगढ़ : इसे राजनीति का गिरता हुआ स्तर कहें या राजनीतिज्ञों का वैचारिक दिवालियापन कि देश में कई सवेदनशील विषयों पर चिंतन से ध्यान भटकाकर जनता को निकृष्ट और असंवेदनशील विषयों पर चर्चा के लिए प्रतिबद्ध किया जा रहा है। जहाँ एक ओर भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रभुत्वशाली देश बनाने हेतु कई तरह की योजनाएं, कार्यक्रम एवं अनुशंधान किये जा रहे है, उसके विपरीत कुछ राजनैतिक दल या यूं कहें कुछ अति महत्वकांशी राजनीतिज्ञ इसे निकट भविष्य में अपने राजनैतिक यात्रा के लिए एक विषाक्त कांटे की तरह देख रहे है।
अभी कुछ समय पहले से एक अजीब सी प्रतिस्पर्धा चल पड़ी है जिसमें बिना संपूर्ण तथ्यों के किसी भी जनप्रतिनिधि पर दोषारोपण कर उसे उन आरोपों के प्रति खुद को सही सिद्ध करने के लिए मजबूर किया जाता है। ताज घटनाक्रम देखने पर नरेंद्र मोदी, जो की भारतीय लोकतंत्र की प्रक्रिया से बनी पूर्ण बहुमत की सरकार के मुखिया है, परन्तु उन पर आरोप लगे कि उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता पर झूठे प्रमाणपत्र प्रस्तुत किये। लेकिन इन आरोपों को प्रमाणिक बनाने के लिए जिन तथ्यों को आधार बनाया गया उस से आरोप लगाने वाले राजनैतिक दलों और राजनैतिज्ञों की समझ पर ही संसय होने लगता है।
http://www.youtube.com/watch?v=PZ6FLrs2NL4
भारतीय लोकतंत्र की सुंदरता का एक अच्छा उदाहरण है कि आप पदस्त प्रधानमंत्री पर भी प्रश्न खड़े कर सकते है , लेकिन इस सुंदरता का दोहन जब निजी स्वार्थों के लिए होता हो तो यह एक भयावह स्तिथि है। वर्ष 2000 में पत्रकार राजीव शुक्ल द्वारा रूबरू कार्यक्रम के लिए तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के महासचिव नरेंद्र मोदी का साक्षात्कार लिया गया जिसमें उनसे उनकी शिक्षा पर प्रश्न किये गए जिसके उत्तर उन्होंने दिये भी। उस कार्यक्रम के वीडियो के साथ छेड़ छाड कर उसे निजी राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए तो नही किया जा रहा। आप रूबरू कार्यक्रम के इस वीडियो को देख खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि सत्य क्या हे।
जहां एक ओर भारतीय सेना में भ्र्ष्टाचार की जड़ें ज़माने की कोशिश कर रही एक घटना “अगुस्ता वेस्टलैंड” की चर्चा पुरे भारत में चल रही है उससे आम भारतीय जनमानस का ध्यान भटकाकर असंवेदनशील,निर्थक और अप्रमाणिक तथ्यों के आधार पर बुनी गयी घटना पर ला खड़ा करना, वो भी लोकतंत्र की नींव पर खड़ी सरकार द्वारा एक यक्ष प्रश्न पैदा करती है। कहीं कुछ देश विरोधी ताकतों का हस्तक्षेप इन राजनीतिज्ञों एवं इनके द्वारा चलाई जा रही सरकार के मध्य तो नहीं। इस प्रश्न को आपके लिए छोड़ता हूँ।
एक अद्भुत, साधारण और सटीक समीकरण।
बहुत साधारण और सटीक समीकरण किया है आपने । ऐसे विषयो से समाज को अवगत कराना चाहिए । इस प्रकार की जानकारी को साँझा करने के लिए आपका धन्यवाद और आपको बधाई ।