धर्मपाल : दिल्ली की कई कुडि़यां आजकल बॉलीवुड में भरपूर उड़ानें भर रही हैं। इन्हीं में से एक नाम आकृति भारती का भी है। केसी बोकाडिया निर्मित ‘वी आर फ्रेंड्स’ के अलावा डायरेक्टर अजय कश्यप की फिल्म ‘काश! दिल ना लगाते’ में काम कर चुकी आकृति फिलहाल गोविंदा के साथ आईकाॅन फिल्म्स की ‘अफरातफरी’ भी कर रही हैं। फिलहाल उनकी चर्चा उनकी पंजाबी फिल्म ‘कनाडा दि फ्लाइट’ में काम करने को लेकर हो रही है, जिसमें वह दो हीरो के साथ इकलौती हीरोइन हैं। हाल ही में आकृति से बातचीत करने का मौका मिला। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश-
सबसे पहले आप अपने बारे में कुछ बताएं।
-मैं मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हूं। मैंने दिल्ली के ही जीसस एंड मैरी काॅलेज से इंग्लिश आॅनर्स किया है। हम लोग अपर मिडिल क्लास से ताल्लुक रखते हैं, जहां सिद्धांतों एवं मर्यादा को हर चीज से ज्यादा अहमियत दी जाती है। मेरे पिता सोइल साइंटिस्ट थे, जबकि मां हाउस वाइफ हैं। एक छोटा भाई है, जिसने अभी-अभी एमबीए कंप्लीट किया है। फिलहाल काम के सिलसिले में मुंबई में रह रही हूं।
ग्लैमर वर्ल्ड में कैसे आना हुआ?
-इस फील्ड में मेरी एंट्री अचानक ही हुई। दरअसल, काॅलेज के दिनों में मुझे माॅडलिंग के कुछ आॅफर्स मिले, तो मैंने उन्हें स्वीकार कर लिया। उसके बाद प्रख्यात क्रिकेटर संजय मांजरेकर के इंटरनेशनल शो के स्टिल शोज करने का मौका मिला। इससे पहचान बनी, तो फिर देदे गोड़ा, हंजू जैसे पंजाबी सिंगर्स के म्यूजिक वीडियोज में काम मिला। उसी दौरान पता चला कि केसी बोकाडि़या अपनी नई फिल्म के लिए नए चेहरों का आॅडिशन ले रहे हैं। मैंने भी किस्मत आजमाने के उद्देश्य से आॅडिशन में हिस्सा लिया। संयोग से किस्मत ने मेरा साथ दिया और मेरा सेलेक्शन हो गया। इस तरह फिल्म ‘वी आर फ्रेंड्स’ के जरिये एक्टिंग की दुनिया में मेरी एंट्री हो गई। हालांकि, उसके बाद डायरेक्टर अजय कश्यप की फिल्म ‘काश! दिल ना लगाते’ में भी काम किया, जबकि आज भी मेरे पास गोविंदा जी के साथ आईकाॅन फिल्म्स प्रोडक्शन हाउस की ‘अफरातफरी’ जैसी हिंदी फिल्म भी है, जिसमें गुलशन ग्रोवर भी अहम भूमिका में हैं। इसके अलावा कृष्ण कुमार चौधरी की पंजाबी फिल्म ‘कनाडा दि फ्लाइट’ के साथ-साथ उनकी हिंदी फिल्म भी कर रही हूं।
पंजाबी फिल्म ‘कनाडा दि फ्लाइट’ में काम करने का मौका क्या म्यूजिक वीडियोज में काम करने के कारण मिला?
-इसका जवाब हां भी है और नहीं भी। दरअसल, ‘कनाडा दि फ्लाइट’ दिल्ली निवासी फिल्म प्रोड्यूसर कृष्ण कुमार चौधरी की फिल्म है, जिन्होंने जैकी श्राॅफ की लीड भूमिका वाली ‘भूत अंकल’, तनुश्री दत्ता एवं उदिता गोस्वामी स्टारर ‘रोक’, राजीव खंडेलवाल, मुग्धा गोडसे, श्रेयस तलपडे अभिनीत ‘विल यू मैरी मी’, सनी देओल-इरफान खान की लीड भूमिकाओं वाली ‘राइट या राॅन्ग’, विवेक ओबेराॅय एवं मल्लिका शेरावत स्टारर ‘केएलपीडी’ जैसी फिल्में बनाई हैं। कृष्ण कुमार चौधरी की एक हिंदी फिल्म में भी मैं काम कर रही हूं। ऐसे में जब वह पंजाबी फिल्म निर्माण की ओर रुख किया, तो कहानी और किरदार के हिसाब से उन्हें मैं जंच गई। उन्होंने मुझे इस फिल्म में भी चांस दे दिया।
किस तरह की फिल्म है ‘कनाडा दि फ्लाइट’ और इसमें आपका क्या किरदार है?
-यह एक रोमांटिक काॅमेडी फिल्म है, जिसका निर्माण कृष्ण कुमार चौधरी, जबकि निर्देशन रूपेश सिकन कर रहे हैं। इस फिल्म में प्रख्यात पंजाबी सिंगर हंसराज हंस के दोनों बेटे- नवराज हंस और युवराज हंस हीरो हैं, जबकि मैं उनकी इकलौती हीरोइन हूं। फिल्म में शोभित राणा के अलावा पंजाबी फिल्मों में परेश रावल माने जाने वाले काॅमेडियन राणा रणवीर भी अहम भूमिकाओं में हैं। जहां तक फिल्म में मेरे किरदार का सवाल है, तो मैं इसमें गुरनूर नामक युवती का किरदार निभा रही हूं, जो बेहद चुलबुली लड़की है। मुझे उम्मीद है कि यह फिल्म बाॅक्स आॅफिस पर बेहतर रेस्पांस देगी और लोगों का भरपूर मनोरंजन करेगी।
आप दिल्ली की रहने वाली हैं। पंजाबी भाषा की फिल्म में काम करने में क्या और कैसी दिक्कतें आईं?
-देखिए मैं दिल्ली की रहने वाली हूं और पंजाबी कौम से ताल्लुक भी नहीं रखती, लेकिन दिल्ली के पंजाबी कल्चर से अच्छी तरह वाकिफ हूं। हालांकि, मुझे पंजाबी का ज्ञान नहीं है और मैं यह भाषा बोल भी नहीं पाती, लेकिन समझ जरूर लेती हूं। शायद इसी वजह से कृष्ण कुमार चौधरी जी को लगा कि ‘कनाडा दि फ्लाइट’ में गुरनूर की चुलबुली लड़की का किरदार मैं अच्छी तरह से निभा सकती हूं। उनका यह विश्वास ही मेरे लिए इस फिल्म में काम करने का असली कारण रहा। मुझे भी फिल्म की कहानी पसंद आई, सो मैंने इसमें काम करना स्वीकार कर लिया। लेकिन, आखिरकार भाषा का पेंच फंस ही गया, लेकिन काम के दौरान मैंने काफी कुछ सीख लिया। आप कह सकते हैं कि यह फिल्म मेरे लिए पंजाबी भाषा का कोचिंग इंस्टीट्यूट बन गई। आज जब फिल्म कंप्लीट हो चुकी है, तो काफी रिलीफ फील कर रही हूं, लेकिन इसके बावजूद डबिंग खुद करने का इरादा किया है।
फिल्मों में बढ़ते अंग प्रदर्शन एवं इंटीमेट सींस के बारे में आपका क्या कहना है?
-देखिए मेरा मानना है कि हीरोइन को ग्लैमरस होना ही चाहिए, लेकिन ग्लैमरस दिखाने के लिए उसे बिकिनी या टू-पीस पहनाने के चलन को मैं ठीक नहीं मानती। अगर हीरोइन खुद को बिकिनी या टू-पीस में कंफर्ट फील करती है या खुद उसे ऐसे ड्रेसेज पहनने में हिचक नहीं है, तो फिर कोई बात नहीं, लेकिन दबाव डालकर बिकिनी या टू-पीस पहनाना सही नहीं है। मेरा मानना है कि एक हीरोइन साड़ी या सलवार-सूट में भी ग्लैमरस नजर आ सकती है। चूंकि मुझे ग्लैमर एवं न्यूडिटी में अंतर मालूम है, इसलिए ऐसा कोई सीन पर्दे पर नहीं कर सकती, जिसके कारण मेरे परिवार वालों के साथ मुझे शर्मिंदगी का सामना करना पड़े। आॅनस्क्रीन बिकिनी या टू-पीस पहनना और किसिंग सीन देना मेरे बस की बात नहीं है।