एक सप्ताह के अंतराल में दो फिल्मों ‘‘एक्षन जैक्षन’’और‘‘लिंगा’’के रिलीज से कितना तनाव है?
-तनाव किस बात का.सच यह है कि मैं तो बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड हूं , मुझे शुक्रवार का डर नहीं सताता.मैं सिर्फ अपनी तरफ से बेहतरीन काम करने और मेहनत करने में यकीन रखती हॅूं.फिल्म की सफलता की चिंता नहीं करती.क्यांेकि वह हमारे हाथ में नहीं,बल्कि दर्षकों के हाथ में होता है.हमारे हाथ में अच्छी परफार्मेंस देना व मेहनत करना होता है.इसमें मेरी तरफ से कोई कमी नहीं रहती.मेरा मानना है कि जब जो होना होगा,वह होगा.तो फिर टेंषन लेने से क्या फायदा.पाॅंच दिसंबर को‘एक्षन जैक्षन’,12 दिसंबर को‘लिंगा’’के बाद नौ जनवरी को ‘तेवर’रिलीज होगी.मैं इन तीनों फिल्मों का प्रमोषन एक के बाद एक करने वाली हॅूं.मेरे चार साल के कैरियर में यह पहला मौका है, जब दो फिल्मों के रिलीज के बीच मैं किसी अन्य फिल्म की षूटिंग नहीं कर रही हॅंू,सिर्फ फिल्म का प्रमोषन ही कर रही हॅूं.अब मैं 10 जनवरी के बाद ए आर मुरूगादास के निर्देषन में बनने वाली महिला प्रधान फिल्म की षूटिंग षुरू करुंगी.
‘‘एक्शन जैकशन’’क्या है?
-यह फिल्म पूरी तरह से प्रभु देवा स्टाइल की मनोरंजक व फन फिल्म है.वह अपनी स्टाइल से इतर फिल्म कभी नहीं बनाते हैं.दर्षकों को उनकी स्टाइल पसंद आती है.तो ‘एक्शन जैकशन’भी एक्षन,काॅमेडी, डाॅस,संगीत के मिश्रण वाली मसाला फिल्म है.पर उनकी हर फिल्म में कुछ न कुछ नयापन होता है.
फिल्म‘‘एक्षन जैक्षन’’में आप क्या कर रही हैं?
-अजय सर के पात्र की लव इंटरेस्ट हॅूं.जो कि मंुबई में रहती है.मेरे पात्र का नाम खुषी है.नाम खुषी है,मगर उसके साथ ऐसा कुछ होता रहता है,जो कि वह नहीं चाहती है.सिच्युएषन भी काफी फनी रहती हैं..फनी सिच्युएषन से खुषी किस तरह बाहर निकलती है.कैसे उसका लक बदलता है.यह सब बहुत फनी अंदाज में नजर आएगा.
आप तो अजय देवगन और प्रभु देवा के साथ पहले भी काम कर चुकी हैं,तो फिर आपने‘‘एक्षन जैक्षन’’में काम करने के लिए हामी भरते समय क्या सोचा?
-सोचने का मौका ही नहीं था.प्रभु देवा सर के साथ‘‘राउडी राठौड़’’और ‘‘आर ..राजकुमार’’ यह दो फिल्मंे कर चुकी थी.उन्हे मेरी अभिनय प्रतिभा का अहसास हो चुका है.एक दिन वह मेरे घर आए और उन्होेने कहा कि उन्हे मेरी काॅमिक टाइमिंग का अहसास है और वह चाहते हैं कि मैं उनकी फिल्म‘‘एक्षन जैक्षन’’मंे काॅमेडी पात्र निभाउं.उनके साथ काम करना हमेषा इंज्वाॅयमेंट वाला होता है,इसलिए मैने हामी भर दी.उनका ही नहीं बल्कि तमाम लोगो का मानना है कि मेरे अंदर मेरे पिता षत्रुघ्न सिन्हा की ही तरह सेंस आफ ह्यूमर है.
काॅमेडी को लोग बहुत कठिन मानते हैं?
-मुझे लगता है कि काॅमिक टाइमिंग मुझे मेरे पिता से विरासत में मिला है.पर पहली बार मुझे काॅमेडी करने को मिला है.मैं इस जाॅनर में काम करते हुए इंज्वाॅय करती हंू.अभिनय करते समय कुछ भी आसान या कठिन नहीं होता है.पर रोना मुझे ज्यादा कठिन लगता है.मैं संकोची स्वभाव की लड़की हूं, इसलिए भीड़ के सामने रोना मुझे नहीं आता.पर इस काम में ग्लीसरीन मेरी मदद कर देती है.एक दो बूंदे आंखों में डालिए,और रोने का सही भाव चेहरे पर आ जाता है. मुझे जोक्स बनाना,सुनाना और सुनना तथा हंसना बहुत पसंद है.
‘‘एक्षन जैक्षन’’और‘‘तेवर’’दोनों फिल्मों के ट्ेलर से लगता है कि दोनो ही फिल्में एक्षन प्रधान हंै.तो दोनों में फर्क क्या है?
-‘एक्षन जैक्षन’पूरी तरह से प्रभु देवा स्टाइल की मसाला फिल्म है.जबकि ‘तेवर’एक कमर्षियल फिल्म के साथ साथ युवा प्रेम कहानी वाली फिल्म भी है.‘तेवर’के निर्देषक अमित षर्मा की यह पहली फिल्म है.यह कहानी दो युवा लोगों की है जिनके बीच भागते भागते प्यार पनपता है.
फिल्म‘‘तेवर’’किस रूप में नजर आएंगी ?
-यह छोटे षहर की लड़की राधिका है,जिसके पीछे षहर का दबंग व बाहुबली गजेंद्र सिंह( मनोज बाजपेयी) पड़ा हुआ है.राधिका,गजेंद्र सिंह से पीछा छुड़ाकर भागती है,तो अचानक उसकी मदद करने के लिए पिंटू षुक्ला(अर्जुन कपूर)आ जाता है.दोनों एक षहर से दूसरे षहर भागते रहते हैं और भागते भागते ही दोनों एक दूसरे से प्यार करने लग जाते हैं.मैं लंबे समय से इस तरह की फिल्म करना चाहती थी.इस फिल्म को इस किरदार को निभाते हुए काफी उत्साहित हूं.मैंने ख्ुाद इसमें गीत गाया है.उम्मीद है कि लोगों को मेरी आवाज पसंद आएगी.
आप विक्रमादित्य मोटावणे,प्रभु देवा, अमित षर्मा,अरबाज खान आदि अलग अलग स्टाइल के निर्देषकांे के साथ काम करते हुए कितना सहज रहती हैं?
-बहुत सहज रहती हॅूं.आखिर मैं खुद को निर्देषक की कलाकार मानती हूंू.मैं अपनी तरफ से निर्देषक के वीजन,फिल्माए जाने वाले सीन को समझने की कोषिष करती हूं.अंततः फिल्म तो वही बननी होती है,जिसे निर्देषक ने वीज्युआलाइज किया होता है.इसलिए निर्देषक मुझसे जिस तरह की परफार्मेंस की उम्मीद करते हैं,वह परफॅार्मेंस देने का मेरा प्रयास रहता है.
फिल्म‘‘लिंगा’’को लेकर क्या कहंेगी?
-इस फिल्म में दो अलग अलग समय की कहानी है.यह कहानी 1940 के अलावा आज की भी है.मेरा किरदार 1940 के समय का है.मैने इसमंे गांव की लड़की का किरदार निभाया है.रजनी सर हमारे गांव में बांध बनाने के लिए आते हैं.उस वक्त यह लड़की उनके साथ किस तरह से कदमताल करती है,वह सब आप फिल्म में देखेंगे,तभी मजा आएगा.
किस तरह की फिल्में ज्यादा पसंद हंै?
-अब रोमांटिक काॅमेडी वाली ज्यादा करना चाहती हूंू.लाइट हार्टेड फिल्में करना चाहती हूं.‘जब वी मेट’जैसी फिल्म करना चाहती हूंू.इम्तियाज अली के साथ फिल्म करना चाहती हंू.