सोनीपत, 28 अप्रैल। दीनबन्धू छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मुरथल (डीसीआरयूएसटी) के विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान करते हुए राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच वसव के संदेश के अनुकरण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से धरती स्वर्ग बन जायेगी। हर प्रकार की समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
शनिवार को डीसीआरयूएसटी के छठे दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने दीप प्रज्वलित करके किया। विभिन्न संकायों में स्नातक व स्नातकोत्तर की डिग्रियां लेने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रो. सोलंकी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन दौरे पर चीन के राष्ट्रपति के साथ बातचीत के दौरान पांच-स का प्रमुख तौर पर प्रयोग किया है। पांच- स में सोच, सहयोग, संपर्क, सपना तथा संकल्प है। यदि विश्व के सभी राष्ट्राध्यक्षों की सोच ठीक हो जाए तो दुनिया में सबकुछ ठीक हो जाएगा। इन पांच शब्दों का अत्यधिक महत्व है। उन्होंने सभी शब्दों की विस्तार से व्याख्या करते हुए इनमें छिपे गंभीर संदेश को आत्मसात करने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया।
राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों में कैलिबर व कैपेसिटी के साथ कैरेक्टर व कंडक्ट भी होना चाहिए। कैरेक्टर पर बहुत कुछ निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अब इस सोच को भी बदलने की जरूरत है कि पुरुष वर्ग को ही सुधार के लिए प्रयास करने होंगे। आज के दौर में महिला वर्ग को अधिक प्रयास करने की जरूरत है। पुरुष-महिला में अंतर करने की सोच को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह में दीक्षा देने के साथ दक्षिणा भी मांगी जाती है। इसलिए वे विद्यार्थियों से दक्षिणा के रूप में सही अर्थों में भारतीय बनने की अपेक्षा रखते हैं। श्रेष्ठ भारत के अनुसार सोच रखकर आगे बढ़ो। साथ ही उन्होंने दीनबंंधु छोटूराम को नमन करते हुए विद्यार्थियेां को प्रोत्साहित किया कि वे उनके पद्चिन्हों पर चलें।
इसरो के पूर्व चेयरमैन पदमभूषण से सम्मानित डा. के. राधाकृष्णन ने दीक्षांत भाषण दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया कि वे केवल जानकारी (ज्ञान अर्जित करना)जुटाने तक सीमित न रहें, अपितु अपनी समाज व राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियों व कत्र्तव्य को भी गंभीरता से समझते हुए आगे बढ़ें। ऐसा करने पर ही देश के अच्छे नागरिक बन सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि दीनबंधु बहुत बड़े व्यक्ति थे। स्वामी विवेकानंद का अनुसरण करते थे। उन्होंने कहा कि विश्व में आई आर्थिक गिरावट के बाद भी भारत ने स्थिरता बनाए रखी तथा 7 प्रतिशत विकास की दर को प्राप्त करना एक सराहनीय कदम है। हमारे सामने वर्तमान समय में जो चुनौती है, आज की शिक्षित पीढ़ी के वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान का सही दिशा में सदुपयोग करना है , ताकि हमें समस्या का सस्ता व टिकाऊ समाधान निकाल सके। हमारे उत्पाद घरेलू व वैश्विक स्तर पर उपयोगी हो।
डा.राधाकृष्णन ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकी क्रांति में बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। हमें उसका ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करके वैश्विक स्तर पर उपयोगी सिद्ध होने वाले उत्पाद दे पाने में सक्षम होगें। 2017-18 के अनुसार वर्ल्ड इक्नोमिक फॉर्म ने ग्लोबल कंपीटीटिव इंडक्स पर भारत को 40वां स्थान मिला। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक नया कीर्तिमान दिलाया है। उन्होंने कहा कि इसरो ने अन्तरिक्ष के क्षेत्र में पहले 6 में स्थान बनाया है। भारत के लैंडर/रोवर मिशन से लेकर मून द चद्रयान-2 अंतरिक्ष के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। अंत में उन्होंने कहा अगर दृढ़ निश्चयी व निस्वार्थी रूप से दूसरों की भलाई के रूप से कार्य करते है चाहे पूरा विश्व आपके खिलाफ खड़ा हो जाए आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
समारोह के विशिष्ठ अतिथि हरियाणा के शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने कहा कि एक सीढ़ी पार कर डिग्री लेने वाले विद्यार्थी अब नये जीवन में प्रवेश करेंगेे। विद्यार्थीगण अब कार्यक्षेत्र में प्रवेश करेंगे जिससे उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। अत: विद्यार्थियों को अपने संस्कार व संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए ही आगे बढऩा चाहिए। शिक्षा, संस्कृति व संस्कार भारत के पेटेंट हैं। भारतीयों को विश्व में ईमानदार व्यक्तियों के रूप में देखा जाता है। उन्होंने कहा कि विश्व में भारत पहले भी श्रेष्ठ था और आगे भी रहेगा। 21वीं सदी भारत की ही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी पांच हजार वर्ष पूर्व लिखे गये भारतीय ग्रंथों को मान्यता दी है।
प्रो. रामबिलास शर्मा ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया कि वे एक जीवन-एक उद्देश्य के सिद्धांत को अपनायें। पाश्चात्यकरण के चलते रोटी, कपड़ा और मकान तक सीमित न रहें। भारत की जिंदगी तो आत्मा का परमात्मा से मिलन का सफर करना है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने उच्चतर शिक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से विशेष प्रावधान किये है। उन्होंने सरकार के कौशल विकास मिशन तथा स्व-रोजगार के प्रयासों की सफलता के उदाहरण भी प्रस्तुत किये।
समारोह की दूसरी विशिष्ठ अतिथि शहरी स्थानीय निकाय तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन ने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया छात्र जीवन में जो कुछ ग्रहण किया है उसे समाज व राष्ट्र को वापस भी करना सीखें। इसके लिए महापुरुषों के जीवन का अनुकरण करना चाहिए जिन्होंने समाज व राष्ट्र के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में आज हरियाणा प्रदेश चहुुंमुखी विकास की ओर तेजी से अग्रसर है। हरियाणा सरकार ने हर क्षेत्र में युवाओं को आगे बढऩे के लिए प्रदेश में बेहतरीन माहौल दिया है जिसके सफल परिणाम सामने आ रहे हैं।
डीसीआरयूएसटी का दीक्षांत समारोह भारतीय संस्कृति व सभ्यता के रंग से सराबोर नजर आया। मुख्य अतिथि का आगमन संस्कृत के श्रलोकोच्चारण के साथ हुआ। पारंपरिक भारतीय वेशभूषा में छात्र-छात्राओं ने उपाधियां ग्रहण की। इसका उल्लेख मुख्य अतिथि राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने अपने भाषण में भी किया। अतिथियों का स्वागत भी श्रीमद्भागवतगीता की प्रतियां भेंट करते हुए की।
डिग्रियां प्रदान करने से पहले कुलपति. प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए वर्ष भर में हासिल की गई विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का ब्यौरा दिया। साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए दीक्षांत के महत्व से अवगत कराया। इस दौरान करीब 498 छात्र-छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गई, जिनमें कुछ विद्यार्थियों को उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर स्वर्ण पदक भी प्रदान किये गये।
इस मौके पर कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार, प्रो. आरसी कुहाड़, उपायुक्त विनय सिंह, प्रवर पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार, एसडीएम डा. सुनील कुमार, सीईओ जितेंद्र कुमार, डीएसपी मुकेश जाखड़, डीएसपी आर्यन चौधरी, रजिस्ट्रार प्रो. एसके गर्ग, पूर्व रजिस्ट्रार प्रो. आरके अरोड़ा, डा. पूर्णमल गौड़, डा. एमएस धनखड़, डा. विरेंद्र हुड्डा, डा. पवन दहिया, प्रो. रेखा, प्रो. मनोज दून, हरियाणा राज्य महिला आयोग की सदस्य सोनिया अग्रवाल, किरण संधू, डा. संतोष संधू, प्रतिभा, डा. विजय शर्मा, डा. राजबीर सिंह, डा. सुखदीप सांगवान, डा. सुमन सांगवान, डा. अमिता मलिक, डा. नीलम दहिया, मनिंद्र सन्नी आदि शिक्षकगण मौजूद थे।